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[जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
निचित, निविड रूप में भरा जाए कि वे बालाग्र न खराब हों, न विध्वस्त हों, न उन्हें अग्नि जला सके, न वायु उड़ा सके, न वे सड़ें-गलें-दुर्गन्धित हों। फिर सौ-सौ वर्ष के बाद एक-एक बालाग्र निकाले जाते रहने पर जब वह पल्य बिल्कुल रीता ही जाए, रजरहित-धूलकण-सदृश बालारों से रहित हो जाए, निर्लिप्त हो जाए-बालाग्र कहीं जरा भी चिपके न रह जाएं, सर्वथा रिक्त हो जाए, तब तक का समय एक पल्योपम कहा जाता है।
ऐसे कोड़ाकोड़ी पल्योपम का दस गुना एक सागरोपम का परिमाण है।
ऐसे सागरोपम परिमाण से सुषमसुषमा का काल चार कोड़ाकोड़ी सागरोपम, सुषमा का काल तीन कोड़ाकोड़ी सागरोपम, सुषमदुःषमा का काल दो कोड़ाकोड़ी सागरोपम, दुःषमसुषमा का काल बायालीस हजार वर्ष कम एक कोड़ाकोड़ी सागरोपम, दुःषमा का काल इक्कीस हजार वर्ष तथा दुःषमदुःषमा का काल इक्कीस हजार वर्ष है। अवसर्पिणी काल के छह आरों का परिमाण है। उत्सर्पिणी काल का परिमाण इससे प्रतिलोम-उलटा-(दुःषमदुःषमा का काल इक्कीस हजार वर्ष, दुःषमा का काल इक्कीस हजार वर्ष, दुःषमसुषमा का काल बयालीस हजार वर्ष कम एक कोड़ाकोड़ी सागरोपम, सुषमदुःषमा का काल दो कोड़ाकोड़ी सागरोपम, सुषमा का काल तीन कोडाकोड़ी सागरोपम तथा) सुषमासुषमा का काल चार कोड़ाकोड़ी सागरोपम
है।
___ इस प्रकार अवसर्पिणी का काल दस सागरोपम कोड़ाकोड़ी है तथा उत्सर्पिणी का काल भी दस सागरोपम कोड़ाकोड़ी है। अवसर्पिणी और उत्सर्पिणी-दोनों का काल बीस कोड़ाकोड़ी सागरोपम है। . अवसर्पिणी : सुषमसुषमा
२६.जंबुद्दीवेणंभंते ! दीवे भरहे वासे इमीसे ओस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए उत्तमकट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे होत्था ?
गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणामणिपंचवण्णेहिं तणेहि य मणीहि य उवसोभिए, तंजहा-किण्हेहिं, (नीलेहि, लोहिएहिं, हलिद्देहि,) सुक्किल्लेहिं। एवंवण्णो, गंधो, रसो, फासो, सद्दो अतणाण यमणीण य भाणिअव्वो जाव तत्थ णं बहवे मणुस्सा मणुस्सीओ अ आसयंति, सयंति, चिटुंति, णिसीअंति, तुअटुंति, हसंति, रमंति, ललंति।
तीसे णं समाए भरहे वासे बहवे उद्दाला कुद्दाला मुद्दाला कयमाला णट्टमाला दंतमाला नागमाला सिंगमाला संखमाला सेअमाला णामंदुमगणा पण्णत्ता, कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला, मूलमंतो, कंदमंतो, खंधमंतो, तयामंतो, सालमंतो, पवालमंतो, पत्तमंतो, पुष्फमंतो, फलमंतो, बीअमंतो; पत्तेहि अपुष्फहिअफलेहि अउच्छण्णपडिच्छण्णा,सिरीए अईव-अईव उवसोभेमाणा चिटुंति। १. देखें सूत्र संख्या ६।