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________________ सप्तम वक्षस्कार] [४११ नक्षत्र स्वाति विशाखा अनुराधा अधिदेवता वायु इन्द्राग्नी मित्र ज्येष्ठा मूल निर्ऋति पूर्वाषाढा आप उत्तराषाढा विश्वे (विश्वेदेव) अल्प, बहु, तुल्य २०७. एतेसि णं भंते ! चंदिसूरिअगहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे कयरे हिंतो अप्पा वा बहुआ वा तुल्ला वा विसेसाहिआ वा ? . गोयमा ! चंदिमसूरिआ दुवे तुल्ला सव्वत्थोवा, णक्खत्ता संखेज्जगुणा, गहा संखेज्जगुणा, तारारूवा संखेजगुणा इति। [२०७] भगवन् ! चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र तथा ताराओं में कौन किनसे अल्प-कम, कौन किनसे बहुत, कौन किनसे तुल्य-समान तथा कौन किनसे विशेषाधिक हैं ? गौतम ! चन्द्र और सूर्य तुल्य-समान हैं। वे सबसे स्तोक-कम हैं। उनकी अपेक्षा नक्षत्र संख्येयगुणे२८ गुने अधिक हैं। नक्षत्रों की अपेक्षा ग्रह संख्येय गुने-कुछ अधिक तीन गुने १-८८ गुने अधिक हैं। ग्रहों की अपेक्षा तारे संख्येय गुने-६६९७५ कोड़ाकोड़ी २ गुने अधिक हैं। तीर्थंकरादि-संख्या २०८. जम्बुद्दीवेणं भंते ! दीवे जहण्णपए वा उक्कोसपए वा केवइआतित्थयरा सव्वग्गेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णपए चत्तारि उक्कोसपए चोत्तीसं तित्थयरा सव्वग्गेणं पण्णत्ता। जम्बुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइआ जहण्णपए वा उक्कोसपए वा चक्कवट्टी सव्वग्गेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णपदे चत्तारि उक्कोसपदे तीसं चक्कवट्टी सव्वग्गेणं पण्णत्ता इति, बलदेवा, तत्तिआ चेव जत्तिआ चक्कवट्टी, वासुदेवावि तत्तिया चेवत्ति। जम्बुद्दीवे दीवे केवइआ निहिरयणा सव्वग्गेणं पण्णता? १. श्री जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र, शान्तिचन्द्रीया वृत्ति, पत्रांक ५३६ २. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र हिन्दी अनुवाद, श्री अमोलकऋषि, पृष्ठ ६१७
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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