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________________ सप्तम वक्षस्कार ] वर्णन है । [ ३९७ बारहवाँ द्वार - इसमें ताराओं के पारस्परिक अन्तर - दूरी का वर्णन है । तेरहवाँ द्वार - इसमें चन्द्र आदि देवों की अग्रमहिषियों- प्रधान देवियों का वर्णन है । चौदहवाँ द्वार - इसमें आभ्यन्तर परिषत् एवं देवियों के साथ भोग-सामर्थ्य आदि का वर्णन है । पन्द्रहवाँ द्वार - इसमें ज्योतिष्क देवों के आयुष्य का वर्णन है । सोलहवाँ द्वार—इसमें ज्योतिष्क देवों के अल्पबहुत्व का वर्णन है । भगवन् ! क्षेत्र की अपेक्षा से चन्द्र तथा सूर्य के अधस्तन प्रदेशवर्ती तारा विमानों के अधिष्ठातृ देवों कतिपय क्या द्युति, वैभव आदि की दृष्टि से चन्द्र एवं सूर्य से अणु-हीन है ? क्या कतिपय उनके समान हैं ? क्षेत्र की अपेक्षा से चन्द्र आदि के विमानों के समश्रेणीवर्ती ताराविमानों के अधिष्ठातृ देवों में से कतिपय क्या द्युति, वैभव आदि में उनसे न्यून हैं ? क्या कतिपय उनके समान हैं ? क्षेत्र की अपेक्षा से चन्द्र आदि के विमानों के उपरितनप्रदेशवर्ती ताराविमानों के अधिष्ठातृ देवों में से कतिपय क्या द्युति, वैभव आदि में उनसे अणु - न्यून हैं ? क्या कतिपय उनके समान हैं ? हाँ, गौतम ! ऐसा ही है । चन्द्र आदि के अधस्तन प्रदेशवर्ती, समश्रेणीवर्ती तथा उपरितनप्रदेशवर्ती ताराविमानों के अधिष्ठातृ देवो कतिपय ऐसे हैं जो चन्द्र आदि से द्युति, वैभव आदि में हीन या न्यून हैं. कतिपय ऐसे हैं जो उनके समान हैं । भगवन् ! ऐसा किस कारण से है ? गौतम ! पूर्व भव में उन ताराविमानों के अधिष्ठातृ देवों का अनशन आदि तप आचरण, शौच आदि नियमानुपाल तथा ब्रह्मचर्य - सेवन जैसा जैसा उच्च या अनुच्च होता है, तदनुरूप - उस तारतम्य के अनुसार उनमें द्युति, वैभव आदि की दृष्टि से चन्द्र आदि से हीनता - न्यूनता या तुल्यता होती है। पूर्व भव में उन देवों का तप आचरण नियमानुपालन, ब्रह्मचर्य - सेवन जैसे-जैसे उच्य या अनुच्च नहीं होता, तदनुसार उनमें द्युति, वैभव आदि की दृष्टि से चन्द्र आदि से न हीनता होती है, न तुल्यता होती है । १९७. एगमेगस्स णं भंते ! चन्दस्स केवइआ महग्गहा परिवारो, केवइआ णक्खत्ता परिवारो, केवइआ तारागणकोडाकोडीओ पण्णत्ताओ ? गोमा ! अट्ठासी महग्गहा परिवारो, अट्ठावीसं णक्खत्ता परिवारो, छावट्ठि - सहस्साइं णव सया पण्णत्तरा तारागणकोडाकोडीओ पण्णत्ताओ। [१९७] भगवन् ! एक एक चन्द्र का महाग्रह - परिवार कितना है, नक्षत्र - परिवार कितना है तथा तारागण - परिवार कितना कोड़ाकोड़ी है ? गौतम ! प्रत्येक चन्द्र का परिवार ८८ महाग्रह हैं, २८ नक्षत्र हैं तथा ६६९७५ कोड़ाकोड़ी तारागण
SR No.003460
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages482
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Geography, & agam_jambudwipapragnapti
File Size10 MB
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