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[जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
वासे महाकच्छे णामं विजए पण्णत्ते, सेसं जहा कच्छविजयस्स जाव महाकच्छे इत्थ देवे हड्डी अट्ठो अभाणिअव्वो ।
[११३] भगवन् ! महाविदेहे क्षेत्र में महाकच्छ नामक विजय कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, शीता महानदी के उत्तर में पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत के पश्चिम में, ग्राहावती महानदी के पूर्व में महाविदेह क्षेत्र में महाकच्छ नामक विजय बतलाया गया है। बाकी का सारा वर्णन कच्छ विजय की ज्यों है । यहाँ महाकच्छ नामक परम ऋद्धिशाली देव रहता है । पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत
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११४. कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे पम्हकूडे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते ?
गोयमा ! णीलवन्तस्स दक्खिणेणं, सीआए महाणईए उत्तरेणं, महाकच्छस्स पुरत्थिमेणं, कच्छावईए पच्चत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे पम्हकूडे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते, उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणवित्थिण्णे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयन्ति । पम्हकूडे चत्तारि कूडा पण्णत्ता तं जहा - १. सिद्धाययणकूडे, २. पम्हकूडे, ३. महाकच्छकूडे, ४. कच्छवइकूडे एवं जाव अट्ठो ।
पम्हकूडे इत्थ देवे महद्धिए पलिओवमठिईए परिवसइ, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ । [११४] भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत पद्मकूट नामक वक्षस्कार पर्वत कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! नीलवान् वक्षस्कार पर्वत के दक्षिण में शीता महानदी के उत्तर में, महाकच्छ विजय के पूर्व में, कच्छावती विजय के पश्चिम में महाविदेह क्षेत्र में पद्मकूट नामक वक्षस्कार पर्वत बतलाया गया है। वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है, पूर्व-पश्चिम चौड़ा है। बाकी का सारा वर्णन चित्रकूट की ज्यों है । पद्मकूट के चार कूट - शिखर बतलाये गये हैं
१. सिद्धायतनकूट, २. पद्मकूट, ३. महाकच्छकूट, ४. कच्छावतीकूट। इनका वर्णन पूर्वानुरूप है। यहाँ परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम आयुष्ययुक्त पद्मकूट नामक देव निवास करता है। गौतम ! इस कारण यह पद्मकूट कहलाता है ।
कच्छकावती (कच्छावती) विजय
११५. कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे कच्छगावती विजय पण्णत्ते ?
गोयमा ! णीलवन्तस्स दाहिणेणं, सीआए महाणईए उत्तरेणं, दहावतीए महाणईए पच्चत्थिमेणं पम्हकूडस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे कच्छ्गावती णामं विजय पण्णत्ते, उत्तरदाहिणायए पाईणपडीणवित्थिण्णे सेसं जहा कच्छस्स विजयस्स जाव कच्छगावई अ इत्थ देवे ।
कहि णं भंते ! महाविदेहे वासे दहावईकुण्डे णामं कुण्डे पण्णत्ते ?