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[जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र
जम्बू सुदर्शना पर आठ-आठ मांगलिक द्रव्य प्रस्थापित हैं ।
भगवन् ! इसका नाम जम्बू सुदर्शना किस कारण पड़ा ?
गौतम ! वहाँ जम्बूद्वीपाधिपति, परण ऋद्धिशाली अनादृत नामक देव अपने चार हजार सामानि देवों, (चार सपरिवार अग्रमहिषियों- प्रधान देवियों, तीन परिषदों, सात सेनाओं, सात सेनापति - देवों तथा ) सोलह हजार आत्मरक्षक देवों का, जम्बूद्वीप का, जम्बू सुदर्शना का, अनादृता नामक राजधानी का, अन्य अनेक देव-देवियों का आधिपत्य करता हुआ निवास करता है ।
गौतम ! इस कारण उसे जम्बू सुदर्शना कहा जाता है। अथवा गौतम ! जम्बू सुदर्शना नाम ध्रुव, नियत, शाश्वत, अक्षय (अव्यय) तथा अवस्थित है।
भगवन् ! अनादृत नामक देव की अनादृता नामक राजधानी कहाँ बतलाई गई है ?
गौतम ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत मन्दर पर्वत के उत्तर में अनादृता राजधानी है। उसके प्रमाण आदि पूर्ववर्णित यमिका राजधानी के सदृश हैं । देव का उपपात — उत्पत्ति, अभिषेक आदि सारा वर्णन वैसा ही
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भगवन् ! उत्तरकुरु—यह नाम किस कारण पड़ा ?
गौतम ! उत्तरकुरु में परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम आयुष्य युक्त उत्तरकुरु नामक देव निवास करता है। गौतम ! इस कारण वह उत्तरकुरु कहा जाता है।
अथवा उत्तरकुरु नाम ( ध्रुव, नियत एवं ) शाश्वत है ।
माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत
१०८. कहि णं भंते! महाविदेहे वासे मालवंते णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते ?
गोयमा ! मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं, णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं, उत्तरकुराए पुरत्थिमेणं, कच्छस्स चक्कवट्टिविजसय्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे मालवंते णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते । उत्तरदाहिणायए, पाईणपडीणविच्छिण्णे, जं चेव गंधमायणस्स पमाणं विक्खम्भो अ, णवरमिमं णाणत्तं सव्ववेरुलिआमए, अवसिट्टं तं चेव जाव गोयमा ! नव कूडा पण्णत्ता, तं जहा सिद्धययणकूडे -
सिद्धेय मालवन्ते, उत्तरकुरु कच्छ सागरे रयए ।
सीओ य पुण्भद्दे, हरिस्सहे चेव बोद्धव्वे ॥ १॥
कहि णं भंते ! मालवन्ते वक्खारपव्वए सिद्धाययणकूडे णामं कूडे पण्णत्ते ?
गोयमा ! मन्दरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं, मालवन्तस्स कूडस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं एत्थ णं सिद्धाययणे कूडे पण्णत्ते । पंच जोअणसयाइं उद्धं उच्चत्तेणं, अवसिद्धं तं चेव जाव रायहाणी । एवं मालवन्तस्स कूडस्स, उत्तरकुरुकूडस्स, कच्छकूडस्स, एए चत्तारि कूडा दिसाहिं