________________
चतुर्थ वक्षस्कार]
[२०५
लम्बी है। उत्तर में उसकी जीवा पूर्व-पश्चिम लम्बी है। वह लवणसमुद्र का दो ओर से स्पर्श करती है। वह अपने पूर्वी किनारे से पूर्वी लवणसमुद्र का स्पर्श करती है और पश्चिमी किनारे से पश्चिमी लवणसमुद्र का स्पर्श करती है। वह कुछ अधिक ५३९३१६/ योजन लम्बी है। दक्षिण में उसका धनुपृष्ठ है, जिसकी परिधि ५७२९१०/. योजन है। वह रुचकसदृश आकार लिये हुए है, सर्वथा रत्नमय है, स्वच्छ है। अपने दोनों ओर वह दो पद्मवरवेदिकाओं तथा दो वनखण्डों से घिरा हुआ है।
महाहिमवान् वर्षधर पर्वत के ऊपर अत्यन्त समतल तथा रमणीय भूमिभाग है। वह विविध प्रकार के पंचरंगे रत्नों तथा तृणों से सुशोभित है। वहाँ देव-देवियाँ निवास करते हैं। महापद्मद्रह
९७. महाहिमवंतस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महापउमद्दहे णामं दहे पण्णत्ते।दो जोअणसहस्साई आयामेणं, एगं जोअणसहस्सं विक्खंभेणं, दस जोअणाइं उव्वेहेणं, अच्छे रययामयकूले एवं आयामविक्खंभविहूणा जा चेव पउमद्दहस्स वत्तव्वया सा चेव णेअव्वा। पउमप्पमाणंदोजोअणाई अट्ठो जाव महापउमद्दहवण्णाभाई हिरी अइत्थ देवी जाव पलिओवमद्विइया परिवसइ।
__ से एएणतुणं गोयमा ! एवं वुच्चइ, अदुत्तरंचणंगोयमा ! महापउमद्दहस्स सासए णामधिज्जे पण्णत्ते जं णं कयाइ णासी ३।
___तस्स णं महापउमद्दहस्स दक्खिणिल्लेणं तीरणेणं रोहिआ महाणई पवूढा समाणी सोलस पंचुत्तरे जोअणसए पंच य एगूणवीसइभाए जोअणस्स दाहिणाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवित्तिएणं मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदोजोअणसइएणं पवाएणं पवडइ। रोहिआ णं महाणई जओ पवडइ एत्थणं महं एगा जिब्भिया पण्णत्ता।साणंजिभिआ जोअणं आयामेणं, अद्धतेरसजोअणाइं विक्खंभेणं, कोसं बाहल्लेणं, मगरमुहविउट्ठसंठाणसंठिआ, सव्ववइरामई, अच्छा।
रोहिआ णं महाणई जहिं पवडइ एत्थ णं महं एगे रोहिअप्पवायकुंडे णामं कुंडे पण्णत्ते। सवीसं जोअणसयं आयामविक्खंभेणं पण्णत्तं तिण्ण असीए जोअणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, दस जोअणाइं उव्वेहेणं, अच्छे, सण्हे, सो चेव वण्णओ। वइरतले, वट्टे, समतीरे जाव तोरणा।
तस्स णं रोहिअप्पवायकुण्डस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे रोहिअदीवे णामंदीवे पण्णत्ते। सोलस जोअणाई आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं पण्णासं जोअणाई परिक्खेवेणं, दो कोसे ऊसिए जलंताओ, सव्ववइरामए, अच्छे । से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण यवणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते।रोहिअदीवस्सणं दीवस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थणं महं एगे भवणे पण्णत्ते।कोसं