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________________ ७२] [तेईसवाँ कर्मप्रकृतिपद] ___ गोयमा! जहण्णेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे। [१७३१-१ प्र.] भगवन् ! असंज्ञीपंचेन्द्रिय जीव नरकगतिनाम का कितने काल का बन्ध करते हैं? [१७३१-१ उ.] गौतम! वे पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सहस्र सागरोपम (काल) का २७ भाग और उत्कृष्ट परिपूर्ण सहस्र सागरोपम का २७ भाग बांधते हैं। [२] एवं तिरियगतीए वि। [१७३१-२] इसी प्रकार तिर्यञ्चगतिनाम के बंध के विषय में समझना चाहिए। [३] मणुयगतिणामए वि एवं चेव। णवरं जहण्णेणं सागरोवमसहस्सस्स दिवड्ढे सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति। [१७३१-३] मनुष्यगतिनामकर्म के बन्ध के विषय में भी इसी प्रकार समझना चाहिए। विशेष यह है कि इसका जघन्य बन्ध पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सहस्र-सागरोपम के १॥ भाग और उत्कृष्ट परिपूर्ण सहस्र सागरोपम के "भाग का करते हैं। [४] एवं देवगतिणामए वि। णवरं जहण्णेणं सागरोवमसहस्सस्स एगं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं। [१७३१-४] इसी प्रकार देवगतिनामकर्म के बन्ध के विषय में समझना। किन्तु विशेषता यह है कि इसका जघन्य बन्ध पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सहस्र सागरोपम के १/७ भाग का और उत्कृष्ट पूरे उसी (सहस्र सागरोपम) के १/७ भाग का करते हैं। [५] वेउव्वियसरीरणामए पुच्छा । गोयमा! जहणेणं सागरोवमसहस्सस्स दो सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं दो पडिपुण्णे बंधंति। [१७३१:५ प्र.] भगवन् ! (असंज्ञीपंचेन्द्रिय जीव) वैक्रियशरीरनाम का बन्ध कितने काल का करते हैं ? [१७३१-५ उ.] गौतम! वे जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सहस्र सागरोपम के २७ भाग का और उत्कृष्ट पूर सहस्र सागरोपम के २/७ का करते हैं। १७३२. सम्मत्त-सम्मामिच्छत्त-आहारगसरीरणामए तित्थगरणामए य ण किचि बंधति । [१७३२] (असंज्ञीपंचेन्द्रिय जीव) सम्यक्त्वमोहनीय, सम्यग्मिथ्यात्वमोहनीय, आहारकशरीरनामकर्म और तीर्थंकरनामकर्म का बन्ध करते ही नही हैं।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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