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[ तेईसवाँ कर्मप्रकृतिपद]
एकेन्द्रिय जीवों की बन्धस्थिति का रेखाचित्र
जघन्य बन्धस्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम का ३/७ भाग
क्रम कर्म प्रकृति का नाम १ ज्ञानावरणीय (पंचक)
असातावेदनीय, निद्रापंचक,
दर्शनावरणचतुष्क अंतरायपंचक २ तिर्यञ्चायु
उत्कृष्ट बन्धस्थिति पूरे सागरोपम का ३/७ भाग
अन्र्तमुहूर्त की
सात हजार तथा एक हजार वर्ष का तृतीय भाग अधिक करोड़ पूर्व की पूरे सागरोपम का "भाग
३ सातावेदनीय, स्त्रीवेद, मनुष्यगति,
मनुष्यानुपूर्वी सम्यक्त्ववेदनीय और मिश्र
वेदनीय (मोहनीय) कर्म ५ मिथ्यात्ववेदनीय (मोहनीय)
पल्योपम के असंख्यातवे भाग कम सागरोपम का "भाग बन्ध नहीं
बन्ध नहीं
पूरे सागरोपम की
.
६
कषायषोडशक (सोलह कषाय)
पूरे सागरोपम के ४/७ भाग की
पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम एक सागरोपम की पल्योपम के असंख्यतवें भाग कम सागरोपम के ४/७ भाग की पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के १७ भाग की
पूरे सागरोपम के १/७ भाग की
पूरे सागरोपम के ९/३५ भाग की
७ पुरुषवेद, हास्य, रति, प्रशस्त
विहायोगति, स्थिरादिषट्क समचतुरस्त्र संस्थान, वऋषभनाराचसंहनन, शुक्लवर्ण, सुरभिगन्ध, मधुररस और उच्चगोत्र, यश:-कीर्ति द्वीन्द्रिय-त्रीन्द्रिय-चतुरिन्द्रियः जातिनाम नरकायु, देवायु, नरकगति, देवगति, वैक्रियशरीर, जाहारकशरीर नरकानुपूर्वी, देवानु
पूर्वी, तीर्थकरनामकर्म १० द्वितीय संस्थान, द्वितीय संहनन
पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के ९/३५ भाग की इन नौ पदों का बन्ध नहीं
बन्ध नहीं
११ तीसरा संस्थान, तीसरा संहनन
१२ रक्तवर्ण, कषायरस
पल्योपम के असंख्यातवें
पूरे सागरोपम के ६/३५ भाग की भाग कम सागरोपम के ६/३५ भाग की पल्योपम के असंख्यातवें
पूरे सागरोपम के ७/३५ भाग की भाग कम सागरोपम के ७/३५ भाग की पल्योपम के असंख्यातवें
पूरे सागरोपम के ६/२८ भाग की भाग कम सागरोपम के ६/२८ भाग की पल्योपम के असंख्यातवें
पूरे सागरोपम के ५/२८ भाग की भाग कम सागरोपम के ५/२८ भाग की पल्योपम के असंख्यातवें
पूरे सागरोपम के ७/२८ भाग की भाग कम सागरोपम के ७/२८ भाग की
१३ पीलावर्ण, अम्लरस
१४ नीलवर्ण, कटुकरस