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[प्रज्ञापनासूत्र]
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[१७००-८ प्र.] लोभ-संज्वलन की स्थिति के विषय में प्रश्न है।
[१७००-८ उ.] गौतम! इसकी स्थिति जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति क्रोध के समान, इत्यादि पूर्ववत्।
[९] इत्थिवेदस्स णं० पुच्छा।
गोयमा! जहण्णेणं सागरोवमस्स दिवड्ढे सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं पण्णरस सागरोवमकोडाकोडीओ; पण्णरस य वाससयाई अबाहा०।
[१७००-९ प्र.] स्त्रीवेद की स्थिति-सम्बन्धी प्रश्न है।
[१७००-९ उ.] गौतम! उसकी जघन्य स्थिति पल्योपम का असंख्यातवाँ भाग कम सागरोपम के सात भागों में से डेढ भाग( १॥ भाग) की है और उत्कृष्ट पन्द्रह कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका आबाधाकाल पन्द्रह सौ वर्ष का है।
[१०] पुरिसवेयस्स णं० पुच्छा।
गोयमा! जहण्णेणं अट्ठ संवच्छराई, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससयाई अबाहा, जाव निसेगो।
[१७००-१० प्र.] पुरुषवेद की स्थिति-सम्बन्धी प्रश्न है।
[१७००-१० उ.] इसकी जघन्य स्थिति आठ संवत्सर (वर्ष) की है और उत्कृष्ट दस कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल दस सौ(एक हजार वर्ष) का है। निषेककाल पूर्ववत् जानना।
[११] नपुंसगवेदस्स णं० पुच्छा।
गोयमा! जहण्णेणं सागरोवमस्स दुण्णि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखिजइभागेणं ऊणगा, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ; वीसति वाससयाई अबाहा०।
[१७००-११ प्र.] नपुंसकवेद की स्थिति-सम्बन्धी प्रश्न है ।
[१७००-११ उ.] गौतम! इसकी स्थिति जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के २/७ भाग की है और उत्कृष्ट बीस कोडाकोडी सागरोपम की है। इसका अबाधाकाल बीस सौ (दो हजार) वर्ष का है।
[१२] हास-रतीणं पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमस्स एक्कं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेजइभागेणं ऊणं, उक्कोसेणं दस सागरोवमकोडाकोडीओ; दस य वाससयाइं अबाहा ।
[१७००-१२ प्र.] हास्य और रति की स्थिति के विषय में पृच्छा है।
[१७००-१२ उ.] गौतम! इनकी जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के १/७ भाग की है और उत्कृष्ट दस कोडाकोडी सागरोपम की है तथा इसका अबाधाकाल दस सौ (एक हजार) वर्ष का है।