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________________ २५८] [प्रज्ञापनासूत्र] [२१२९-२] इसी प्रकार (त्रीन्द्रिय और) यावत् चतुरिन्द्रिय तक (का अल्पबहुत्व जानना चाहिए)। ___२१३०. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! वेदणासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्घाएणं वेउव्वियसमुग्घाएणं तेयासमुग्घाणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचेंदियतिरिक्खजोणिया तेयासमुग्घाएणं समोहया, वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहया असंखेजगुणा, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, वेदणासमुग्घाएणं समोहया असंखेन्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेज्जगुणा, असमोहंया संखेजगुणा। [२१३० प्र.] भगवन् ! वेदनासमुद्घात से, कषायसमुद्घात से, मारणान्तिकसमुद्घात से, वैक्रियसमुद्घात से तथा तैजससमुद्घात से समवहत एवं असमवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं? [२१३० उ.] गौतम! सबसे कम तैजससमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च हैं, उनसे वैक्रियसमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च असंख्यातगुणा हैं, उनसे मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च असंख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च असंख्यातगुणा हैं तथा उनसे कषायसमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च संख्यातगुणा हैं और इन सबसे संख्यातगुणा अधिक हैं, असमवहत पंचेन्द्रियतिर्यञ्च। २१३१. मणुस्साणं भंते! वेदणासमुग्घाएणं कसायसमुग्घाएणं मारणंतियसमुग्याएणं वेउव्वियसमुग्धाएणं तेयगसमुग्घाएणं आहारगसमुग्घाएणं केवलिसमुग्घाएणं समोहयाणं असमोहयाण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा ४? गोयमा ! सव्वत्थोवा मणूसा आहारगसमुग्घाएणं समोहया, केवलिसमुग्घाणं समोहया संखेजगुणा, तेयगसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा, वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहया संखेन्जगुणा, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहया असंखेन्जगुणा, वेयणासमुग्घाएणं समोहया असंखेज्जगुणा, कसायसमुग्घाएणं समोहया संखेजगुणा, असमोहया असंखेजगुणा। [२१३१ प्र.] भगवन् ! वेदनासमुद्घात से, कषायसमुद्घात से, मारणान्तिकसमुद्घात से, वैक्रियसमुद्घात से, तैजससमुद्घात से, आहारकसमुद्घात से तथा केवलिसमुद्घात से समवहत एवं असमवहत मनुष्यों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [२१३१ उ.] गौतम! सबसे कम आहारकसमुद्घात से समवहत मनुष्य हैं, उनसे केवलिसमुद्घात से समवहत मनुष्य संख्यातगुणा हैं, उनसे तैजससमुद्घात से समवहत मनुष्य संख्यातगुणा हैं, उनसे वैक्रियसमुद्घात से समवहत मनुष्य संख्यातगुणा हैं, उनसे मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत मनुष्य असंख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्घात से समवहत मनुष्य असंख्यातगुणा हैं तथा उनसे कषायसमुद्घात से समवहत मनुष्य संख्यातगुणा हैं और इन सबसे असमवहत मनुष्य असंख्यातगुणा हैं।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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