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________________ [ छत्तीसवाँ समुद्घातपद ] [२४३ · [२११८ - १] तैजससमुद्घात का कथन (सू. २११६ में उक्त) मारणान्तिकसमुद्घात के समान कहना चाहिए। विशेष यह है कि जिसके वह होता है, ( उसी के कहना चाहिए ) । [२] एवं एते वि चउवीसं चउवीसा दंडगा भाणियव्वा । [२११८-२] इस प्रकार ये भी चौबीसों दण्डकों में घटित करना चाहिए। २११९. [ १ ] एगमेगस्स णं भंते! णेरइयस्स णेरइयत्ते केवतिया आहारगसमुग्धाया अतीया ? गोयमा ! णत्थि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! णत्थि । [२११९-१ प्र.] भगवन् ! एक-एक नारक के नारक अवस्था में कितने आहारकसमुद्घात अतीत हुए हैं ? [२११९-१] गौतम! (नारक के नारकपर्याय में अतीत आहारकसमुद्घात) नहीं होते हैं। [प्र.] भगवान् ! उसके भावी आहारकसमुद्घात कितने होते हैं ? [.उ.] गौतम! (भावी आहारकसमुद्घात भी) नहीं होते । [ २ ] एवं जाव वेमाणियत्ते । णवरं मणूसत्ते अतीया कस्सइ अत्थि, कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा, उक्कोसेणं तिण्णि । केवतिया पुरेक्खडा ? गोयमा ! कस्सइ अत्थि कस्सइ णत्थि, जस्सत्थि जहण्णेणं एक्की वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं चत्तारि । 1 [२११९-२] इसी प्रकार (मारक के ) यावत् वैमानिक अवस्था में (अतीत और अनागत आहारकसमुद्घात का कथन समझना चाहिए) । विशेष यह है कि ( नारक के) मनुष्यपर्याय में अतीत (आहारकसमुद्घात) किसी के होता है, किसी के नहीं होता। जिसके होता है, उसके जघन्य एक अथवा दो और उत्कृष्ट तीन होते हैं। [प्र.] भगवन्! (नारक के मनुष्यपर्याय में) भावी (आहारकसमुद्घात) कितने होते हैं ? [उ.] गौतम ! किसी के होते हैं, किसी के नहीं होते। जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार होते हैं। [ ३ ] एवं सव्वजीवाणं मणूसेसु भाणियव्वं । [२११९-३] इसी प्रकार समस्त जीवों और मनुष्यों के ( अतीत और भावी आहरकसमुद्घात के विषय में जानना चाहिए।) [४] मणूसस्स मणूसत्ते अतीया कस्सइ अत्थि, कस्सइ णत्थि, जस्सऽत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं चत्तारि । एवं पुरेक्खडा वि ।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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