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[प्रज्ञापनासूत्र]
[२] एवं जाव थणियकुमाराणं। [२०९०-२] इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त कहना चाहिए। २०९१. [१] पुढविक्काइयाणं भंते! कति समुग्घाया पण्णत्ता ? . गोयमा!तिण्णि समुग्घाया पण्णत्ता।तं जहा - वेदणासमुग्घाए १ कसायसमुग्घाए २ मारणंतियसमुग्घाए
[२०९१-१ प्र.] भगवन् ! पृथ्वीकायिक जीवों के कितने समुद्घात कहें हैं ?
[२०९१-१ उ.] गौतम! उनके तीन समुद्घात कहे हैं। यथा-(१) वेदनासमुद्घात, (२) कषायसमुद्घात और (३) मारणान्तिकसमुद्घात।
[२] एवं जाव चउरिदियाणं ।णवरं वाउक्काइयाणं चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेदणासमुग्याए १ कसायसमुग्घाए २ मारणंतियसमुग्घाए ३ वेउव्वियसमुग्घाए ।
[२०९१-२] इसी प्रकार चतुरिन्द्रियों पर्यन्त जानना चाहिए। विशेष यह है कि वायुकायिक जीवों के चार समुद्घात कहे हैं, यथा-(१) वेदनासमुद्घात, (२) कषायसमुद्घात, (३) मारणान्तिकसमुद्घात ओर (४) वैक्रियसमुद्घात।
२०९२. पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं जावं वेमाणियाणं भंते! कति समुग्घाया पण्णता?
गोयमा! पंच समुग्घाया पण्णत्ता। तं जहा-वेदणासमुग्घाए १ कसायसमुग्घाए २ मारणंतियसमुग्घाए ३ वेउब्वियसमुग्याए ४ तेयासमुग्याए ५। णवंर मणूसाणं सत्तविहे समुग्घाए पण्णत्ते, तं जहा-वेदणासमुग्धाए १ कसायसमुग्घाए २ मारणंतियसमुग्घाए ३ वेउव्वियसमुग्घाए ४ तेयासमुग्घाए ५ आहारगसमुग्घाए ६ केवलिसमुग्याए ।
[२०९२ प्र.] भगवन् ! पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों से लेकर वैमानिकों पर्यन्त कितने समुद्घात कहे है ?
[२०९२ उ.] गौतम! उनके पांच समुद्घात कहे है। यथा-(१) वेदनासमुद्घात, (२) कषायसमुद्घात, (३) मारणान्तिकसमुद्घात (४) वैक्रियसमुद्घात और (५) तैजससमुद्घात। विशेष यह है कि मनुष्यों के सात समुद्घात कहे है, यथा-(१) वेदनासमुद्घात, (२) कषायसमुद्घात, (३) मारणान्तिकसमुद्घात (४) वैक्रियसमुद्घात और (५) तैजससमुद्घात (६) आहारकसमुद्घात और (७) केवलिसमुद्घात।
विवेचन-समुद्घात : किसमें कितने और क्यों ?-नारकों में आदि के ४ समुद्घात होते हैं, क्योंकि नारकों में तेजोलब्धि, आहारकलब्धि और केवलित्व का अभाव होने से तैजस, आहारक और केवलिसमुद्घात नहीं होते। असुरकुमारादि दस भवनवासी देवों में प्रारम्भ के चार और पांचवाँ तैजससमुद्घात भी हो सकता है। पृथ्वीकायिकादि पांच स्थावरों में प्रारम्भ के तीन समुद्घात होते हैं, किन्तु वायुकायिक जीवों में पहले के तीन और एक वैक्रियसमुद्घात, यों चार समुद्घात होते हैं। पंचेन्द्रितिर्यञ्चों से लेकर वेमानिकों तक प्रारम्भ के पांच समुद्घात पाये जाते है। किन्तु मनुष्यों में सातों ही समुद्घात पाये जाते हैं । तिर्यञ्चपंचेन्द्रियों से लेकर वेमानिकों तक पांच समुद्घात इसलिए पाये