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________________ [ छत्तीसवाँ समुद्घातपद ] समुद्घात-काल- प्ररूपणा २०८७. [ १ ] वेदणासमुग्धाए णं भंते! कतिसमइए पण्णत्ते ? गोयमा! असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए पण्णत्ते । [२०८७-१ प्र.] भगवन् ! वेदनासमुद्घात कितने समय का कहा गया है ? [२०८७ - १ उ.] गौतम ! वह असंख्यात समयों वाले अन्तर्मुहूर्त का कहा है । [२] एवं जाव आहारगसमुग्धाए । [२०८७ - २] इसी प्रकार आहारकसमुद्घात पर्यन्त कथन करना चाहिए। २०८८. केवलिसमुग्धाए णं भंते! कतिसमइए पण्णत्ते ? गोयमा ! अट्ठसमइए पण्णत्ते । [२०८८ प्र.] भगवन्! केवलिसमुद्घात कितने समय का कहा है ? [२०८८ उ.] गौतम! वह आठ समय का कहा है। विवेचन—निष्कर्ष—वेदनासमुद्घात से लेकर आहारकसमुद्घात तक समुद्घातकाल अन्तर्मुहूर्त का है, किन्तु वह अन्तर्मुहूर्त असंख्यात समयों का समझना चाहिए। केवलिसमुद्घात का काल आठ समय का है।' चौवीस दण्डकों में समुद्घात - संख्या- प्ररूपणा २०८९. णेरइयाणं भंते! कति समुग्धाया पण्णत्ता ? गोयमा! चत्तरि समुग्धाया पण्णत्ता । तं जहा - वेदणासमुग्धाए १ कसायसमुग्धाए २ मारणंतियसमुग्धाए ३ वेव्वियसमुग्धाए ४ । [२०८९. प्र.] भगवन्! नैरयिकों के कितने समुद्घात कहे हैं ? [२२९ [२०८९. उ.] गौतम! उनके चार समूद्घात कहे हैं । यथा - (१) वेदनासमुद्घात, (२) कषायसमुद्घात, (३) मारणान्तिकसमुद्घात एवं (४) वैक्रियसमुद्घात । २०९०. [ १ ] असुरकुमारणं भंते! कति समुग्घाया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच समुग्घाया पण्णत्ता! तं जहा ३ वेउव्वियसमुग्घाए ४ तेयासमुग्धाए ५ । [२०९० प्र.] भगवन्! असुरकुमारों के कितने समुद्घात कहे है ? - - वेदणासमुग्धाए १ कसायसमुग्धाए २ मारणंतियसमुग्धाए १. प्रज्ञापना. (प्रमेयबोधिनी टीका) भा. ५, पृ. ९१९ - ९२० [२०९० उ.] गौतम! उनके पांच समुद्घात कहे हैं। यथा - (१) वेदनासमुद्घात, (२) कषायसमुद्घात, (३) मारणान्तिकसमुद्घात (४) वैक्रियसमुद्घात और (५) तैजससमुद्घात ।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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