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________________ १५४] [१९१२ प्र.] भगवान् नैरयिकों का उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? [१९१२ उ.] गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है। यथा • साकारोपयोग और अनाकारोपयोग । — १९१३ णेरइयाणं भंते! सागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! छव्विहे पण्णत्ते तं जहा - मतिणाणसागरोवओगे १ सुयणाणसागारोवओगे २ ओहिणाणसागारो वओगे ३ मतिअण्णाणसागारोवओगे ४ सुयअण्णाणसागारोवओगे ५ विभंगणाणसागारोवओगे ६ । [१९१३ प्र.] भगवन् नैरयिकों का साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? [१९१३ उ.] गौतम वह छह प्रकार का कहा गया हैं यथा (१) मतिज्ञान- साकारोपयोग, (२) श्रुतज्ञानसाकारोपयोग (३) अवधिज्ञान- साकारोपयोग (४) मति - अज्ञान साकारोपयोग (५) श्रुत- अज्ञान - साकारोपयोग (६) विभंगज्ञान - साकारोपयोग | - [ प्रज्ञापनासूत्र ] १९१४ रइयाणं भंते ! अणागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! तिविहे पण्णत्ते । तं जहा - चक्खुदंसणअणागारोवओगे १ अचक्खुदंसणअणागारोवओगे २ ओहिदंसणअणागारोवओगे ३ य । [१९१४ प्र.] भगवन्! नैरयिकों का अनाकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? [१९१४ उ.] गौतम! वह तीन प्रकार का कहा गया है यथा (१) चक्षुदर्शन - अनाकारोपयोग, (२) अचक्षुदर्शन- अनाकारोपयोग, (३) अवधिदर्शन- अनाकारोपयोग । १९९५ एवं जाव थणियकुमाराणं । १९१५ इसी प्रकार असुरकुमारों से लेकर स्तनितकुमारों तक के साकारोपयोग और अनाकारोपयोग का कथन करना चाहिए। १९१६ पुढविक्काइयाणं पुच्छा । गोयमा! दुबिहे उवओगे पण्णत्ते । तं जहा [१९१६ प्र.] भगवन्! पृथ्वीकायिक जीवों के उपयोग सम्बन्धी प्रश्न हैं । [१९१६ उ.] गौतम! उनका उपयोग दो प्रकार का कहा गया है। यथा-साकारोपयोग और अनाकारोपयोग । १९१७ पुढविक्काइयाणं भंते ! सागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - . मतिअण्णाणे सुयअण्णाणे । [१९१७ प्र.] भगवन्! पृथ्वीकायिक जीवों का साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? [१९१७ उ.] गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है - यथा - १ मति- अज्ञान और २ श्रुतअज्ञान साकारोपयोग । १९१८ पुढविक्काइयाणं भंते ! अणागारोवओगे कतिविहे पण्णत्ते ? सागारोवओगे य अणागारोवओगे य ।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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