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________________ एगूणतीसइमं : उवओगपयं उनतीसवाँ उपयोगपद जीव आदि में उपयोग के भेद - प्रभेदों की प्ररूपणा [१९०८] कतिविहे णं भंते ! उवओगे पण्णत्ते ? गोयसा! दुविहे उवओगे पण्णत्ते । तं जहा - सागारोवओगे य अणागारोवओगे य । [११०८ प्र.] भगवन् ! उपयोग कितने प्रकार का कहा गया है? [११०९ उ.] गौतम ! वह दो प्रकार का कहा गया है, यथा-साकारोपयोग और अनाकारोपयोग। [१९०९] सागारोवओगे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा! अट्ठविहे पण्णत्ते। तं जहा-आभिणिबोहियणाणसागारोवओगे १ सुयणाणसागारोवओगे २ ओहिणाणसागारोवओगे ३ मणपजवणाणसागारोवओगे ४ केवलणाणसागारोवओगे ५ मतिअण्णाणसागारोवओगे ६ सुयअण्णाणसागारोवओगे ७ विभंगणाणसागारोवओगे ८ । १९०९ प्र. भगवन् ! साकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है ? [१९०९ उ.] गौतम ! वह आठ प्रकार का कहा गया है। (१) आभिनिबोधिक - ज्ञानसाकारोपयोग, (२) श्रुतज्ञानसाकारोपयोग, (३) अवधिज्ञानसाकारोपयोग, (४) मनःपर्यवज्ञानसाकारोपयोग (५) केवलज्ञानसाकारोपयोग, (६) मति-अज्ञानसाकारोपयोग, (७) श्रुतअज्ञानसाकरोपयोग और (८) विभंगज्ञानसाकारोपयोग। १९१० अणागारोवओगे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते । तं जहा - चक्खुदंसणअणागारोवओगे १ अचक्खुदंसणअणागारोवओगे ओहिदंसणअणागारोवओगे ३ केवलदंसणअणागारोवओगे ४। [१९१० प्र.] भगवन् अनाकारोपयोग कितने प्रकार का कहा गया है? [१९१० उ.] गौतम वह चार प्रकार का कहा गया है। यथा - चक्षुदर्शन-अनाकारोपयोग, (२) अचक्षुदर्शनअनाकारोपयोग, (३) अवधिदर्शन अनाकारोपयोग, (४) केवलदर्शन अनाकारोपयोग । १९११ एवं जीवाणं पि । [१९११] इसी प्रकार समुच्चय जीवों में भी (साकारोपयोग और अनाकारोपयोग क्रमशः आठ और चार प्रकार का है।) १९१२ णेरइयाणं भंते। कतिविहे उवओगे पण्णत्ते? गोयमा! दुविहे उवओगे पण्णत्ते। तं जहा-सागारोवओगे य अणागारोवओगे य।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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