SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 146
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [प्रज्ञापनासूत्र] [१३१ प्ररूपण किया गया है। नोभवसिद्धिक-नोअभवसिद्धिक और सिद्ध - नो-भवसिद्धिक-नो-अभवसिद्धिक सिद्धजीव ही हो सकता है। क्योंकि सिद्ध मुक्तिपद को प्राप्त कर चुकते हैं, इसलिए उन्हें भव्य नहीं कहा जा सकता तथा मोक्ष को प्राप्त हो जाने के कारण उन्हें मोक्षगमन के अयोग्य-अभवसिद्धिक (अभव्य) भी नहीं कहा जा सकता। एकत्व और बहुत्व की अपेक्षा से ये अनाहारक ही होते हैं। तृतीय : संज्ञीद्वार १८७६. [१] सण्णी णं भंते! जीवे कि आहारगे अणाहारगे? गोयमा! सिय आहारगे सिय अणाहारगे। [१८७६-१ प्र.] भगवन् ! संज्ञी जीव आहारक है या अनाहारक है ? [१८७६-१ उ.] गौतम! वह कदाचित् आहारक और कदाचित् अनाहारक होता है। [२] एवं जाव वेमाणिए। णवरं एगिदिय-विगलिंदिया ण पुच्छिज्जति। [१८७६-२] इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना चाहिए। किन्तु एकेन्द्रिय और विकलेन्द्रिय जीवों के विषय में प्रश्न नहीं करना चाहिए। १८७७. सण्णी णं भंते! जीवा किं आहारया अणाहारगा? गोयमा! जीवाईओ तियभंगो जाव वेमाणिया। [१८७७-१ प्र.] भगवन् ! बहुत-से संज्ञी जीव आहारक होते हैं या अनाहारक होते हैं ? [१८७७-१ उ.] गौतम! जीवादि से लेकर वैमानिक तक (प्रत्येक में) तीन भंग होते हैं। १८७८. [१] असण्णी णं भंते! जीवे कि आहारए अणाहारए ? गोयमा! सिय आहारए सिय अणाहारए। [१८७८-१ प्र.] भगवन् ! असंज्ञी जीव आहारक होता है या अनाहारक होता है ? [१८७८-१ उ.] गौतम! वह कदाचित् आहारक और कदाचित् अनाहारक होता है। [२] एवं णेरइए जाव वाणमंतरे। [१८७८-२] इसी प्रकार नारक से लेकर वाणव्यन्तर पर्यन्त कहना चाहिए। [३] जोइसिय-वेमाणिया ण पुच्छिति। [१८७८-३] ज्योतिष्क और वैमानिक के विषय में प्रश्न नहीं करना चाहिए। १८७९. असण्णी णं भंते! जीवा किं आहारगा अणाहारगा? १. प्रज्ञापना मलय वृत्ति पृ. ५१० २. वही, अ.रा. र्कोष भा. २, पृ. ५१०-५११
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy