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________________ [ प्रज्ञापनासूत्र ] [११९ [१८४२ उ.] गौतम ! जघन्य २२ हजार वर्ष में और उत्कृष्ट २३ हजार वर्ष में देवों को आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है। इसी प्रकार सर्वार्थसिद्ध विमान तक (एक-एक) हजार वर्ष अधिक कहना चाहिए । १८४३. हेट्टिममज्झिमाणं पुच्छा । गोयमा ! जहण्णेणं तेवीसाए, उक्कोसेणं चउवीसाए । [१८४३ प्र.] भगवन्! अधस्तन - मध्यम ग्रैवेयकों के विषय में पृच्छा है। [१८४३ उ.] गौतम! जघन्य २३ हजार वर्ष और उत्कृष्ट २४ हजार वर्ष में उन्हें आहारेच्छा उत्पन्न होती है । १८४४. हेट्टिमउवरिमाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं चउवीसाए, उक्कोसेणं पणुवीसाए । [ १८४४ प्र.] भगवन्! अधस्तन- उपरिम ग्रैवेयकों के विषय में आहाराभिलाषा की पृच्छा है। [१८४४ उ.] गौतम! जघन्य चौवीस हजार वर्ष और उत्कृष्ट २५ हजार वर्ष में आहारेच्छा उत्पन्न होती है । १८४५. मज्झिमहेट्टिमाणं पुच्छा। गोयमा ! जहण्णेणं पणुवीसाए, उक्कोसेणं छव्वीसाए । [१८४५ प्र.] भगवन्! मध्यम-अधस्तन ग्रैवेयकों के विषय में प्रश्न है। [ १८४५ उ.] गौतम ! जघन्य २५ हजार वर्ष में और उत्कृष्ट २६ हजार वर्ष में आहार की अभिलाषा उत्पन्न होती है । १८४६. मज्झिममज्झिमाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं छव्वीसाए, उक्कोसेणं सत्तावीसाए । [१८४६ प्र.] भगवन्! मध्यम- मध्यम ग्रैवेयकों को आहारभिलाषा कितने काल में उत्पन्न होती है ? [१८४६ उ.] गौतम! जघन्य २६ हजार वर्ष में और उत्कृष्ट २७ हजार वर्ष में आहारेच्छा उत्पन्न होती है । १८४७. मज्झिमउवरिमाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं सत्तावीसाए उक्कोसेण अट्ठावीसाए । [१८४७ प्र.] भगवन्! मध्यम-उपरिम ग्रैवेयकों की आहारेच्छा - सम्बन्धी पृच्छा है। [ १८४७ उ.] गौतम ! जघन्य २७ हजार वर्ष में और उत्कृष्ट २८ हजार वर्ष में उन्हें आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है । १८४८. उवरिमहेट्टिमाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अट्ठावीसाए, उक्कोसेणं एगूणतीसाए ।
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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