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[ प्रज्ञापनासूत्र ]
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[१८४२ उ.] गौतम ! जघन्य २२ हजार वर्ष में और उत्कृष्ट २३ हजार वर्ष में देवों को आहाराभिलाषा उत्पन्न होती है। इसी प्रकार सर्वार्थसिद्ध विमान तक (एक-एक) हजार वर्ष अधिक कहना चाहिए ।
१८४३. हेट्टिममज्झिमाणं पुच्छा ।
गोयमा ! जहण्णेणं तेवीसाए, उक्कोसेणं चउवीसाए ।
[१८४३ प्र.] भगवन्! अधस्तन - मध्यम ग्रैवेयकों के विषय में पृच्छा है।
[१८४३ उ.] गौतम! जघन्य २३ हजार वर्ष और उत्कृष्ट २४ हजार वर्ष में उन्हें आहारेच्छा उत्पन्न होती है ।
१८४४. हेट्टिमउवरिमाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं चउवीसाए, उक्कोसेणं पणुवीसाए ।
[ १८४४ प्र.] भगवन्! अधस्तन- उपरिम ग्रैवेयकों के विषय में आहाराभिलाषा की पृच्छा है।
[१८४४ उ.] गौतम! जघन्य चौवीस हजार वर्ष और उत्कृष्ट २५ हजार वर्ष में आहारेच्छा उत्पन्न होती है ।
१८४५. मज्झिमहेट्टिमाणं पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं पणुवीसाए, उक्कोसेणं छव्वीसाए ।
[१८४५ प्र.] भगवन्! मध्यम-अधस्तन ग्रैवेयकों के विषय में प्रश्न है।
[ १८४५ उ.] गौतम ! जघन्य २५ हजार वर्ष में और उत्कृष्ट २६ हजार वर्ष में आहार की अभिलाषा उत्पन्न होती
है ।
१८४६. मज्झिममज्झिमाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं छव्वीसाए, उक्कोसेणं सत्तावीसाए ।
[१८४६ प्र.] भगवन्! मध्यम- मध्यम ग्रैवेयकों को आहारभिलाषा कितने काल में उत्पन्न होती है ?
[१८४६ उ.] गौतम! जघन्य २६ हजार वर्ष में और उत्कृष्ट २७ हजार वर्ष में आहारेच्छा उत्पन्न होती है ।
१८४७. मज्झिमउवरिमाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं सत्तावीसाए उक्कोसेण अट्ठावीसाए ।
[१८४७ प्र.] भगवन्! मध्यम-उपरिम ग्रैवेयकों की आहारेच्छा - सम्बन्धी पृच्छा है।
[ १८४७ उ.] गौतम ! जघन्य २७ हजार वर्ष में और उत्कृष्ट २८ हजार वर्ष में उन्हें आहाराभिलाषा उत्पन्न होती
है ।
१८४८. उवरिमहेट्टिमाणं पुच्छा ।
गोयमा! जहण्णेणं अट्ठावीसाए, उक्कोसेणं एगूणतीसाए ।