SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रकाशकीय आगम बत्तीसी के समस्त ग्रंथों को उपलब्ध कराने की भावना से चतुर्थ उपांग श्री प्रज्ञापना सूत्र के अंतिम भाग (तृतीय खण्ड) का यह तृतीय संस्करण प्रस्तुत करते हुए अतीव प्रमोद का अनुभव हो रहा है। . प्रज्ञापनासूत्र विशालकाय आगम है और तात्त्विक विवेचनाओं से भरपूर है। इसलिए इसे एक जिल्द में प्रकाशित किया जाना सम्भव नहीं था, अतः प्रथम खण्ड में १ से ९, द्वितीय खण्ड में १० से २२ और तृतीय खण्ड में २३ से ३६ पद, इस प्रकार तीन खंडों में प्रकाशित किया गया है। चर्चाओं से भरपूर श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति (भगवती) सूत्र के चारों खंडों के तृतीय संस्करण का मुद्रण भी हो रहा है। आशा है यह विशालकाय सूत्र ग्रन्थ भी पाठकों के पठन-पाठन के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। प्रज्ञापना सूत्र का अनुवाद एवं सम्पादन जैन भूषण पं. रत्न मनि श्री ज्ञानमनि जी म.सा. ने किया है। मनिराज के अमूल्य सहयोग के लिए समिति अत्यन्त आभारी है। - अंत में जिन महानुभावों का समिति को जिस किसी भी रूप में प्रत्यक्ष परोक्ष सहयोग प्राप्त होता है, हम उन सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। सागरमल बेताला रतनचंद मोदी सरदारमल चौरडिया कार्यवाहक अध्यक्ष महामन्त्री श्री आगमप्रकाशन समिति, ब्यावर ( राजस्थान ) ज्ञानचंद बिनायकिया .. मन्त्री अध्यक्ष
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy