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________________ खुशबू हवाएं ले उड़ीं, वक्त रंग ले गया। दास्तां गुल ने कही, क्या से क्या ये हो गया। अंत में इतना ही लिखना है कि जिस दिन आपका निधन हुआ उससे पूर्व रात को ग्यारह बजे तक गाना बजाना चलता रहा। क्योंकि दूसरे दिन मुकलावा (गौना) के लिए उमाजी (महासतीजी श्री उमरावकुंवरजी म.सा. "अर्चना") को लेने दादिया ग्राम जाना था किन्तु विधि की अमिट रेखा को कौन मिटा सका? ऐसा सोए कि फिर नहीं उठे। खुशी के साथ दुनिया में हजारों गम भी होते हैं। जहाँ बजती हैं शहनाइयां वहां मातम भी होते हैं। इस हादसे में उनके वियोग में पांच आदमी, पांच गायें, दो भैंसें, दो कुत्ते भी मृत्यु को प्राप्त हुए। परिणामस्वरूप सारे चौखले में हाहाकार मच गया। इससे सात महीने पहिले पीहर रहकर उमाजी (वर्तमान में श्री अर्चना जी म.सा.) को ससुराल लाया गया। जैसे ही इस घटना को जाना तत्काल संयम लेने का संकल्प कर लिया और मिगसर शुक्ला ११ नोखा चांदवतों में पूर्व प्रवर्तक श्री हजारीमलजी म.सा. के कर-कमलों द्वारा पिताश्री जगन्नाथजी के साथ में दीक्षा ग्रहण की। श्रमण संघ में श्रमणी वर्ग में आपश्री का नाम अग्रणी है। स्व. पं. युवाचार्य श्री मधुकर जी म.सा की संस्थाओं का संचालन आपश्री के दिशा निर्देशन में सुचारुरूपेण चल रहा है। महासतीजी श्रीजी को इस बात का गर्व है कि संसार पक्ष के सभी सम्बन्धियों का स्नेह मिला, सत्य के पथ पर बढ़ने की प्रेरणा मिली। फिर पं. श्री हजारीमलजी म.सा., स्वामीजी श्री ब्रजलालजी म.सा. एवं पं. युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी म.सा. की अनंत कृपा प्राप्त हुई। परिणामस्वरूप जो भी कुछ पारमार्थिक और साधना के क्षेत्र में कार्य हो रहे हैं यह सब गुरुजनों की कृपा, स्नेह एवं आत्मीयजन तथा गुरुभक्तों का ही सहयोग है। उन्हीं की पुण्य स्मृति में प्रज्ञापना सूत्र का तृतीय भाग प्रकाशित होने जा रहा है। महासतीजी की प्रेरणा से दानदाता उन्हीं के आत्मीय बन्धु ज्ञानचंद बिनायकिया मंत्री श्री आगम प्रकाणन समिति, ब्यावर
SR No.003458
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 03 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages411
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size25 MB
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