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________________ ६४ ] । प्रज्ञापनासूत्र [८५४ उ.] हाँ गौतम ! पृथ्वी, यह (शब्द) स्त्रीवचन है, अप् (पानी) यह (प्राकृत में) पुरुषवचन है और धान्य, यह (शब्द) नपुंसकवचन है। यह भाषा प्रज्ञापनी है, यह भाषा मृषा नहीं है। ८५५. अह भंते ! पुढवीति इत्थीआणमणी आउ त्ति पुमआणमणी धण्णे त्ति नपुंसगाणमणी पण्णवणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ? हंता गोयमा ! पुढवीति इत्थिआणमणी, आउ त्ति पुमआणमणी, धण्णे त्ति णपुंसगआणमणी, पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा । [८५५ प्र.] भगवन् ! पृथ्वी, यह (भाषा) स्त्री-आज्ञापनी है, अप यह (भाषा) पुरुषआज्ञापनी है और धान्य, यह (भाषा) नपुंसक-आज्ञापनी है, क्या यह भाषा प्रज्ञापनी है ? क्या यह भाषा मृषा नहीं है ? [८५५ उ.] हाँ, गौतम ! पृथ्वी, यह (जो) स्त्री-आज्ञापनी (भाषा) है, अप्, यह (जो) पुरुषआज्ञापनी (भाषा) है और धान्य, यह (जो) नपुंसक-आज्ञापनी (भाषा) है, यह भाषा प्रज्ञापनी है; यह भाषा मृषा नहीं है। ८५६. अह भंते ! पुढवीति इत्थिपण्णवणी आउ त्ति पुमपण्णवणी धण्णे त्ति णपुंसगपण्णवणी आराहणी णं एसा भासा ? ण एसा भासा मोसा ?' हंता गोयमा ! पुढवीति इत्थिपण्णवणी आउ त्ति पुमपण्णवणी धण्णे त्ति णपुंसगपण्णवणी आराहणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा। _[८५६ प्र.] भगवन् ! पृथ्वी, यह (जो) स्त्री-प्रज्ञापनी है, (भाषा) है, अप्, यह पुरुषप्रज्ञापनी (भाषा) है और धान्य, यह (जो) नपुंसक-प्रज्ञापनी है (भाषा) है, क्या यह भाषा आराधनी है ? क्या यह भाषा मृषा नहीं है? [८५६ उ.] हाँ, गौतम ! पृथ्वी, यह (जो) स्त्री-प्रज्ञापनी (भाषा) है, अप्, यह (जो) पुरुष-प्रज्ञापनी (भाषा) है और धान्य, यह (जो) नपुंसक-प्रज्ञापनी (भाषा) है, यह भाषा आराधनी है। यह भाषा मृषा नहीं ८५७. इच्चेवं भंते ! इत्थिवयणं वा पुमवयणं वा णपुंसगवयणं वा वयमाणे पण्णवणी णं एसा भासा? ण एसा भासा मोसा ? ___हंता गोयमा ! इत्थिवयणं वा पुमवयणं वा णपुंसगवयणं वा वयमाणे पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा। __ [८५७ प्र.] भगवन् ! इसी प्रकार स्त्रीवचन या पुरुषवचन अथवा नपुंसकवचन बोलते हुए (व्यक्ति की) १. ग्रन्थाग्रम् ४००० ।
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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