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एक्कारसमं भासापयं
ग्यारहवाँ भाषापद अवधारिणी एवं चतुर्विध भाषा
८३०. से णूणं भंते ! मण्णामीति ओहारिणी भासा ? चिंतेमीति ओहारिणी भासा ? अह मण्णामीति ओहारिणी भासा ? अह चिंतेमीति ओहारिणी भासा ? तह मण्णामीति ओहारिणी भासा? तह चिंतेमीति ओहारिणी भासा?
हंता गोयमा ! मण्णामीति ओहारिणी भासा, चिंतेमीति ओहारिणी भासा, अह मण्णामीति ओहारिणी भासा, अह चिंतेमीति ओहारिणी भासा, तह मण्णामीति ओहारिणी भासा, तह चिंतेमीति ओहारिणी भासा। ___ [८३० प्र.] भगवन् ! मैं ऐसा मानता हूँ कि भाषा अवधारिणी (पदार्थ का अवधारण-अवबोध कराने वाली) है: मैं (युक्ति से) ऐसा चिन्तन करता हूँ कि भाषा अवधारिणी है: (भगवन् !) क्या मैं ऐसा मानूं कि भाषा अवधारिणी है ? क्या मैं (युक्ति द्वारा) ऐसा चिन्तन करूं कि भाषा अवधारिणी है ?: (भगवन् ! पहले मैं जिस प्रकार मानता था) उसी प्रकार (अब भी) ऐसा मानूँ कि भाषा अवधारिणी है ? तथा उसी प्रकार मैं (युक्ति से) ऐसा चिन्तन करूं कि भाषा अवधारिणी है ? ।
[८३० उ.] हाँ, गौतम ! (तुम्हारा मनन-चिन्तन सत्य है।) तुम मानते हो कि भाषा अवधारिणी है, तुम (युक्ति से) चिन्तन करते (सोचते) हो कि भाषा अवधारिणी है, (यह मैं अपने केवलज्ञान से जानता हूँ।), इसके पश्चात् भी तुम मानो कि भाषा अवधारिणी है, अब तुम (निःसन्देह होकर) चिन्तन करो कि भाषा अवधारिणी है: (मैं भी केवलज्ञान के द्वारा ऐसा ही जानता हूँ, तुम्हारा जानना और सोचना यथार्थ और निर्दोष है।) (अतएव) तुम उसी प्रकार (पूर्वमननवत्) मानो कि भाषा अवधारिणी है तथा उसी प्रकार (पूर्वचिन्तनवत्) सोचो कि भाषा अवधारिणी है।
८३१. ओहारिणी णं भंते । भासा किं सच्चा मोसा सच्चामोसा असच्चामोसा ? गोयमा ! सिय सच्चा, सिय मोसा, सिय सच्चामोसा, सिय असच्चामोसा ।
से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति ओहारिणी णं भासा सिय सच्चा सिय मोसा सिय सच्चामोसा सिय असच्चामोसा ?