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________________ ५५६] [प्रज्ञापनासूत्र ___ [उ.] गौतम ! जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है, उसके पारिग्रहिकीक्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं होती; जिसके पारिग्रहिकी क्रिया होती है, उसके आरम्भिकी क्रिया नियम से होती है। १६२९. जस्स णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जति तस्स मायावत्तिया किरिया कजति ? ० पुच्छा। गोयमा ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कजति तस्स मायावत्तिया किरिया णियमा कज्जति, जस्स पुण मायावत्तिया किरिया कज्जति तस्स आरंभिया किरिया सिय कजति सिय णो कज्जति । [१६२९ प्र.] भगवन् ! जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है, क्या उसको मायाप्रत्यया क्रिया होती है ? (तथा) जिसके मायाप्रत्ययाक्रिया होती है क्या उसके आरम्भिकीक्रिया होती है ? [उ.] गौतम ! जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है, उसके नियम से मायाप्रत्ययाक्रिया होती है (और) जिसकी मायाप्रत्ययाक्रिया होती है, उसके आरम्भिकीक्रिया कदाचित् होती है और कदाचित् नहीं होती १६३०. जस्स णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कजति तस्स अपच्चक्खाणकिरिया क-जति ? ० पुच्छा। - गोयमा ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कजति तस्स अप्पच्चक्खाणकिरिया सिय . कज्जति सिय णो कज्जति, जस्स पुण अपच्चक्खाणकिरिया कजति तस्स आरंभिया किरिया णियमा कज्जति। ___[१६३० प्र.] भगवन् ! जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है, क्या उसको अप्रत्ययाख्यानकीक्रिया होती है, (तथा) जिसको अप्रत्याख्यानिकीक्रिया होती है, क्या उसको आरम्भिकीक्रिया होती है ? [उ.] गौतम ! जिस जीव को आरम्भिकीक्रिया होती है. उसको अप्रत्याख्यानिकी क्रिया कदाचित होती है, कदाचित् नहीं होती है, किन्तु जिस जीव को अप्रत्याख्यानिकी क्रिया होती है, उसके आरम्भिकीक्रिया नियम से होती है। १६३१. एवं मिच्छादसणवत्तियाए वि समं। [१६३१] इसी प्रकार (आरम्भिकीक्रिया के साथ अप्रत्याख्यानीक्रिया के सहभाव के कथन के समान आरम्भिकीक्रिया के साथ) मिथ्यादर्शनप्रत्यया (के सहभाव का) (कथन करना चाहिए।) १६३२. एवं पारिग्गहिया वि तिहिं उवरिल्लाहिं समं चारेयव्वा। [१६३२] इसी प्रकार (आरम्भिकीक्रिया के साथ जैसे पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया और अप्रत्याख्यानी क्रिया के सहभाव का प्रश्नोत्तर है, उसी प्रकार) आगे की तीन क्रियाओं (मायाप्रत्यया, अप्रत्याख्यानी एवं
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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