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बाईसवाँ क्रियापद ]
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गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए। [१५८८ प्र.] भगवन् ! (एक) जीव, (एक) जीव की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ?
[उ.] गौतम ! (वह) कदाचित् तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला, कदाचित् पांच क्रियाओं वाला और कदाचित् अक्रिय (क्रियारहित) होता है।
१५८९.[१] जीवे णं भंते ! णेरइयाओ कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चतुकिरिए सिय अकिरिए । [१५८९-१ प्र.] भगवन् ! (एक) जीव, (एक) नारक की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता
. [उ.] गौतम ! (वह) कदाचित् तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला और कदाचित् अक्रिय होता है।
[२] एवं जाव थणियकुमाराओ। . [१५८९-२] इसी प्रकार (पूर्वोक्त एक जीव की एक नारक की अपेक्षा से क्रिया सम्बन्धी आलापक के समान) एक जीव की, एक असुरकुमार से लेकर (एक) स्तनितकुमार की अपेक्षा से (क्रिया सम्बन्धी आलापक कहने चाहिए।)
[३] पुढविक्काइय-आउक्काइय-तेउक्काइय-वाउक्काइय-वणस्सइकाइय-बेइंदिय-तेइंदियचउरिदिय-पंचिंदियतिरिक्खजोणिय-मणूसाओ जहा जीवाओ (सु. १५८८)।
[१५८९-३] (एक जीव का एक पृथ्वीकायिक, अप्कायिक तेजस्कायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रियतिर्यञ्चयोनिक एवं एक मनुष्य की अपेक्षा से (क्रियासम्बन्धी आलापक सू. १५८८ में उक्त एक जीव की अपेक्षा से क्रियासम्बन्धी आलापक के समान कहने चाहिए।)
[४] वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाओ जहा णेरइयाओ (सु. १५८९)।
[१५८९-४] (इसी तरह एक जीव का एक वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक की अपेक्षा क्रियासम्बन्धी आलापक (सू. १५८९-१ में उक्त) (एक) नैरयिक की अपेक्षा से क्रियासम्बन्धी आलापक के समान कहने चाहिए।
१५९०. जीवे णं भंते ! जीवेहिंतो कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए सिय अकिरिए। [१५९० प्र.] भगवन् ! (एक) जीव, (अनेक) जीवों की अपेक्षा से कितनी क्रियाओं वाला होता है ? [उ.] गौतम ! (वह) कदाचित् तीन क्रियाओं वाला, कदाचित् चार क्रियाओं वाला, कदाचित् पांच