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[प्रज्ञापनासूत्र विवेचन - सभी जीवों की तैससशरीरावगाहना - प्रस्तुत ७ सूत्रों (सू. १५४५ से १५५१ तक) में विभिन्न सांसारिक जीवों के तैजसशरीर की अवगाहना जब वह मारणान्तिकसमुद्घात किया हुआ हो, उस समय की अपेक्षा से प्रतिपादित की गई है । मारणान्तिकसुद्घात से समवहत जीव की तैजसशरीरावगाहना की तालिका इस प्रकार है
विष्कम्भ-बाहल्य तैजसशरीरी जीव के नाम की अपेक्षा से आयाम की अपेक्षा से जघन्य-उत्कृष्ट १. समुच्चय जीवों की तै.श.अ. शरीरप्रमाणमात्र ज.-अंगुल के असंख्यातवें भाग की, उ.
लोकान्त से लोकन्त तक २. एकेन्द्रियों की तै. श. अ. ३. विकलेन्द्रिय की तै. श. अ. " " " उ.-तिर्यक्लोकान्त तक ४. नारकों की तै. श. अ.
ज.-सातिरेक सहस्रयोजन की उ.-अधःसप्तमनरक तक, तिर्यक्स्वयंभूरमण समुद्र तक और ऊपर पंडकवन
की पुष्करिणी तक की. ५. तिर्यञ्चपंचेन्द्रियों की तै. श. अ. " ज.-अंगुल के असं, भाग, उ.-तिर्यक् लोकान्त
तक की ६. मनुष्यों की तै. श. अ.
ज.-" " उ.-मनुष्यक्षेत्र तक ७. भवनपति, वाणव्यन्तर,
ज.- " " उ.-नीचे तीसरी ज्योतिष्क और सौधर्म, ईशान
नरक के अधस्तनचरमान्त तक, तिरछी स्वयंभू
रमण तक, ऊपर ईषत्प्राग्भारा पृथिवी तक ८.सनत्कुमार से सहस्रार देव तक " ज.-अंगुल के असं.भाग, उ.-नीचे अधोलौकिक
ग्राम तक, तिरछी स्वयम्भूरमण तक, ऊपर
अच्युतकल्प तक ९. आनत-प्राणत-आरण देव तक "
ज.-अंगुल के असं. भाग, उ.-नीचे अधोलौकिक ग्राम तक, तिरछी मनुष्यक्षेत्र तक, ऊपर अच्युतकल्प तक