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________________ ५०४ ] [प्रज्ञापनासूत्र [१५३४ प्र.] भगवन् ! आहारकशरीर किस संस्थान (आकार) का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! (वह) समचतुरस्रसंस्थान वाला कहा गया है । विवेचन - आहारकशरीर का आकार - आहारकशरीर एक ही प्रकार का होता है और उसका संस्थान एक ही प्रकार का-'समचतुरस्र' कहा गया है । आहारकशरीर में प्रमाणद्वार १५३५. आहारगसरीरस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णेणं देसूणा रयणी, उक्कोसेणं पडिपुण्णा रयणी । [१५३५ प्र.] भगवन् ! आहारकशरीर की अवगाहना कितनी कही गयी है ? [उ.] गौतम ! (उसकी अवगाहना) जघन्य देशोन (कुछ कम) एक हाथ की, उत्कृष्ट पूर्ण एक हाथ को होती है । विवेचन - आहारकशरीर की अवगाहना - प्रस्तुत सूत्र में आहारकशरीर की ऊँचाई का प्रमाण (अवगाहना) बताया गया है । आहारकशरीर का प्रमाण - उसकी कम से कम अवगाहना, कुछ कम एक रनि प्रमाण (एक हाथ) बतायी गयी है । प्रारम्भ समय में उसकी इतनी ही अवगाहना होती है, उसका कारण तथाविध प्रयत्न है । आहारकशरीर की उत्कृष्ट अवगाहना पूर्ण रनि प्रमाण बताई गई है। तैजसशरीर में विधिद्वार १५३६. तेश्गसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा-एगिदियतेयगसरीरे जाव पंचेदियतेयगसरीरे । [१५३६ प्र.] भगवन् ! तैजसशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? [उ.] गौतम ! (वह) पाँच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - एकेन्द्रियतैजसशरीर यावत् पंचेन्द्रियतैजसशरीर । १५३७. एगिंदियतेयगसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा-पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइयएगिंदियतेयगसरीरे। [१५३७ प्र.] भगवन् ! एकेन्द्रियतैजसशरीर कितने प्रकार का कहा गया है ? १. प्रज्ञापना. मलयवृत्ति, पत्र ४२५-४२६
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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