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________________ [ प्रज्ञापनासूत्र ५०० ] होता है । [ ४ ] जदि गब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे अकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे ? गोयमा ! कम्मभूमगगब्भवक्कं तियमणूस आहार गसरीरे, णो अकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूसआहारगसरीरे, णो अंतरदीवगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे । [१५३३-४ प्र.] (भगवन् !) यदि गर्भज- मनुष्य के आहारकशरीर होता है तो क्या कर्मभूमिकगर्भज-मनुष्य के आहारकशरीर होता है, अकर्मभूमिक- गर्भज - मनुष्य के होता है, अथवा अन्तरद्वीपक मनुष्य के होता है ? [१५३३-४] गौतम ! कर्मभूमिक- गर्भज मनुष्य के आहारकशरीर होता है, किन्तु न तो अकर्मभूमिक- गर्भज - मनुष्य के होता है और न अन्तरद्वीपक - गर्भज- मनुष्य के होता है । [ ५ ] जदि कम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे किं संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवकंतियमणूस आहारगसरीरे असंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे, णो असंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे । [१५३३-५] (भगवन् !) यदि कर्मभूमिक- गर्भज - मनुष्य के आहारकशरीर होता है, तो क्या संख्यातवर्षायुष्क-कमै भूमिक- गर्भज-मनुष्य के होता है या असंख्यात वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज - मनुष्य के होता है ? [उ.] गौतम ! संख्यातवर्षायुष्क-कर्मभूमिक- गर्भज मनुष्य के आहारकशरीर होता है, किन्तु असंख्यातवर्षायुष्क-कर्मभूमिक- गर्भज - मनुष्य के नहीं होता है। [ ६ ] जदि संखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे किं पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवनंतियमणूस आहारगसरीरे ? गोयमा ! पज्जत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे, णो अपजत्तगसंखेज्जवासाउयकम्मभूमगगब्भवक्कंतियमणूस आहारगसरीरे । [१५३३-६] (भगवन् !) यदि संख्यातवर्षायुष्क- कर्मभूमिक- गर्भज - मनुष्यों के आहारक शरीर होता है, (तो) क्या पर्याप्तक-संख्यातवर्षायुष्क-कर्मभूमिक- गर्भज - मनुष्य के होता है (अथवा ) अपर्याप्तकसंख्यातवर्षायुष्क-कर्मभूमिक- गर्भज- मनुष्य के होता है ?
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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