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________________ एगवीसइमं : ओगाहणसंठाणपयं इक्कीसवाँ : अवगाहना-संस्थान - पद अर्थाधिकार- प्ररूपणा १४७४. विहि १ संठाण २ पमाणं ३ पोग्गलचिणणा ४ सरीरसंजोगो ५ । दव्व-पएसप्पबहुं ६ सरीरओगाहणप्पबहुं ७ ॥ २१४ ॥ [१४७४ गाथार्थ] (इस इक्कीसवें पद में ७ द्वार हैं -) (१) विधि, (२) संस्थान, (३) प्रमाण, (४) पुद्गलचयन, (५) शरीरसंयोग, (६) द्रव्य-प्रदेशों का अलपबहुत्व, एवं (७) शरीरावगाहना - अल्पबहुत्व। विवेचन - शरीरसम्बन्धी सात द्वार प्रस्तुत पदों में शरीर से सम्बन्धित सात द्वारों का वर्णन है, जिनके नाम मूलगाथा में दिये गए हैं । - सात द्वारों में विशेष निरूपण - (१) विधिद्वार इसमें शरीर के प्रकार और उनके भेद-प्रभेदों का वर्णन है, (२) संस्थानद्वार - पंचविध शरीरों के संस्थानों- आकारों का निरूपण है: (३) प्रमाणद्वारऔदारिक आदि शरीरों की लम्बाई-चौड़ाई (अवगाहना) के प्रमाण का वर्णन है, (४) पुद्गलचयनद्वारऔदारिक आदि शरीर के पुद्गलों का चय-उपचय कितनी दिशाओं से होता है ? इसका निरूपण है, (५) शरीरसंयोगद्वार किस शरीर के साथ किस शरीर का संयोग अवश्यम्भावी है, किसके साथ वैकल्पिक है। ? इसका वर्णन है, ( ६ ) द्रव्यप्रदेशाल्पबहुत्वद्वार - द्रव्यों और प्रदेशों की अपेक्षा के अल्पबहुत्व का वर्ण है और (७) शरीरावगाहनाऽल्पबहुत्वद्वार - पांचों शरीरों की अवगाहना के अल्पबहुत्व का निरूपण है । १-२-३. विधि - संस्थान - प्रमाणद्वार १. - - १४७५ कति णं भंते ! सरोरया पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच सरीरया पण्णत्ता । तं जहा ओरालिए १ वेउव्विए २ आहारए ३ तेयए ४ कम्पए ५ । [१४७५ प्र.] भगवन् ! कितने शरीर कहे गए हैं ? प्रज्ञापना. प्रमेयबोधिनी टीका भा. ४, पृ. ५८७ -
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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