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________________ ००० 1 ० २२ ] [ प्रज्ञापनासूत्र १०. कथंचित् अनेक चरमरूप और अनेक अचरमरूप 8888] है, ११. कथंचित् चरम और अवक्तव्य [B] है, १२. कथंचित् एक चरम और अनेक अवक्तव्यरूप [888 है, १३. कथंचित् अनेक चरमरूप और एक अवक्तव्यरूप oo] है, १४. कथंचित् अनेक चरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप o है, (किन्तु) १५. न तो (वह) एक अचरम और एक अवक्तव्य है, १६. न एक अचरम और अनेक अवक्तव्यरूप है, १७. न अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्यरूप है, (और) १८. न ही अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप है, (किन्तु) १९. कथंचित् चरम, अचरम और अवक्तव्यरूप goe है, २०. कथंचित् एक चरम, एक अचरम और अनेक अवत्त है, २१. कथंचित् एक चरम, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य [00 old_ है, २२. कथंचित् एक चरम, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप [ood है, २३. कथंचित् अनेक चरमरूप, एक अचरम और एक अवक्तव्य BBB है, २४. कथंचित् अनेक चरमरूप, एक अचरम और अनेक अवक्तव्यरूप B है, २५. कथंचित् अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य 88108 है, और २६. कथंचित् अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप [[ग है। ____७८९. संखेजपएसिए असंखेजपएसिए अणंतपएसिए खंधे जहेव अट्ठपदेसिए तहेव पत्तेयं भाणियव्वं। [७८९] संख्यातप्रदेशी, असंख्यातप्रदेशी और अनन्तप्रदेशी प्रत्येक स्कन्ध के विषय में, जैसे अष्टप्रदेशी स्कन्ध के सम्बन्ध में कहा, उसी प्रकार कहना चाहिए। ७९०. परमाणुम्मि य ततिओ पढमो ततिओ य होति दुपदेसे पढमो ततिओ नवमो एक्कोरसमो य तिपदेसे ॥१८५॥ पढमो ततिओ नवमो दसमो दसमो एक्कोरसो य बारसमो। भंगा चउप्पदेसे तेवीसइमो य बोद्धव्वो॥१८६॥ पढमो ततिओ सत्तम नव दस एक्कार बार तेरसमो।
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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