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________________ दसवाँ चरमपद ] ७८८. अट्ठपदेसिए णं भंते! खंधे पुच्छा । गोयमा! अट्ठपदेसिए खंधे सिय चरिमे 8888 १ णो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए : : : ३ नो चरिमाई ४ नो अचरिमाई ५ नो अवत्तव्वयाई ६, सिय चरिमे य अचरिमे य 888 ७ सिय चरिमे ८ सिय चरिमाइं च अचरिमे य [8888] ९ सिय चरिमाई च अचरिमाइं य अचरिमाइं च च 81818181 10 सिय चरिमे य अवत्तव्वए य 188% 88 १०, ०७ १२ सिय चरिमाइं च अवत्तव्वए य ० ܘܘܘܐ O १४ नो अचरिमे य अवत्तव्वए य १५ नो अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च १६ नो अचरिमाइं च ० oo 000 ००० 000 अवत्तव्वए य १७ नो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च १८, सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वए य चरिमाइं च अचरिमेय अवत्तव्वए य 8818 888 100 8 १९ सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाई च ० अवत्तव्वए य 0000 [ २१ oo ११ सिय चरिमेय अवत्तव्वयांइ च १३ सिय चरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च १२० सिय चरिमे य अचरिमाई च ० २१ सिय चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च ० ००० २२ सिय २३ सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वयाई च ० २५ सिय चरिमाई च 888 २४ सिय चरिमाइं च अचरिमाई च अवत्तव्वए य 88018 अचरिमाई च अवत्तववयाइं च 180018 २६ । [७८८ प्र.] भगवन्! अष्टप्रदेशिक स्कन्ध के विषय में (मेरी पूर्ववत्) पृच्छा है, इसका क्या समाधान है ? [७८८ उ.] गौतम! अष्टप्रदेशिक स्कन्ध १. कथंचित् चरम 8888 है, २ अचरम नहीं है, ३. कथंचित् अवक्तव्य है, ::: (किन्तु ) ४. न तो अनेक चरमरूप है, ५. न अनेक अचरमरूप है (और) " ६. न ही अनेक अवक्तव्यरूप है, ७. कथंचित् एक चरम और एक अचरम 8 8 8 है, ८. कथंचित् एक चरम ० और अनेक अचरमरूप ० 8008 है, ९. कथंचित् अनेक चरमरूप और एक अचरम [8888 है, ०
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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