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[प्रज्ञापनासूत्र
चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वए य [8188| २३ सिय चरिमाइंच अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च DITB २४ सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वएय [DIBI8| २५ सिय चरिमाइं च अचरिमाई च अवत्तव्वयाइं च [Torg/ २६॥
[७८७ प्र.] भगवन् ! सप्तप्रदेशिक स्कन्ध के विषय में (मेरी पूर्ववत्) पृच्छा है, (उसका समाधान क्या
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है?)
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__[७८७उ.] गौतम! सप्तप्रदेशिक स्कन्ध १. कथंचित् चरम 888० है, २. अचरम नहीं है, ३. कथंचित् अवक्तव्य 8088 है, ४. (किन्तु वह) अनेक चरमरूप नहीं है, ५. न अनेक अचरमरूप है और ६. न ही अनेक अवक्तव्यरुप है, (किन्तु) ७. कथंचित् चरम और अचरम [ooloo है, ८. कथंचित् एक चरम
और अनेक अचरमरूप [ क] है,९. कथंचित् अनेक चरमरूप और एक अचरम [818|80] है, १०. कथंचित् अनेक चरमरूप और अनेक अचरमरूप 81880 है, ११. कथंचित् एक चरम और एक अवक्तव्य शहै, १२. कथंचित् एक चरम और अनेक अवक्तव्यरूप न है, १३. कथंचित् अनेक चरमरूप और एक अवक्तव्य है, १४. कथंचित् अनेक चरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप . है, (किन्तु) १५. न तो (वह) एक अचरम और एक अवक्तव्य है, १६. न एक अचरम और अनेक अवक्तव्य है, १७. न अनेक अचरम और एक अवक्तव्य है और १८. न ही अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप है, (किन्तु) १९. कथंचित् एक चरम, एक अचरम और एक अवक्तव्य न है, २० कथंचित् एक चरम, एक अचरम और अनेक अवक्तव्यरुप है, २१. कथंचित् एक चरम, अनेक चरमरूप और एक अवक्तव्य क है, २२. एक चरम, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप नहीं है, २३. कथंचित् अनेक चरमरूप, एक अचरम और एक अवक्तव्य 8 878) है, २४. कथंचित् अनेक चरमरूप एक अचरम और अनेक अवक्तव्य [oIBIBL है, २५. कथंचित् अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य 018|8|ol है, (और) २६. कथंचित् अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्य [opolgहै।