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________________ ३९८] [प्रज्ञापनासूत्रं अभाषक का कालमान - सादि-सान्त भाषक (जो भाषक होकर फिर अभाषक हो गया है, वह) जघन्य अन्तर्मुहूर्त तक अभाषक पर्याय से युक्त रहता है, फिर कुछ काल रुक कर भाषक बन जाता है और फिर अभाषक हो जाता है। अथवा द्वीन्द्रिय आदि भाषक जीव एकेन्द्रियादि अभाषकों में उत्पन्न होकर वहाँ अन्तर्मुहूर्त तक जीवित रह कर फिर द्वीन्द्रियादि भाषकरूप में उत्पन्न होता है। उस समय जघन्य अन्तर्मुहूर्त तक अभाषक रहता है। उत्कृष्ट वनस्पतिकाल - अर्थात्- पूर्वोक्त अनन्तकाल तक लगातार अभाषक बना रहता सोलहवाँ परीतद्वार १३७६. परित्ते णं भंते ! ० पुच्छा? गोयमा ! परित्ते दुविहे पण्णत्ते । तं जहा - कायपरित्ते य १ संसारपरित्ते य २। [१३७६ प्र.] भगवन् ! परीत जीव कितने काल तक निरन्तर परीतपर्याय में रहता है ? [१३७६ उ.] गौतम ! परीत दो प्रकार के हैं । यथा- (१) कायपरीत और (२) संसारपरीत । १३७७. कायपरित्ते णं ० पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुढविकालो असंखेजाओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ। [१३७७ प्र.] भगवन् ! कायपरीत कितने काल तक कायपरीतपर्याय में रहता है ? [१३७७ उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त तक और उत्कृष्ट पृथ्वीकाल तक, (अर्थात्-) असंख्यात उत्सर्पिणी-अवसर्पिणियों तक (कायपरीतपर्याय में निरन्तर बन रहता है)। १३७८. संसारपरित्ते णं० पुच्छा? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं जााव अवर्ल्ड पोग्गलपरियट्टे देसूण। [१३७८ प्र.] भगवन् ! संसारपरीत जीव कितने काल तक संसारपरीतपर्याय में रहता है ? [१३७८ उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट अनन्तकाल तक, यावत् देशोन अपार्द्ध पुद्गलपरावर्त (संसारपरीतपर्याय में रहता है)। १३७९. अपरित्ते णं ० पुच्छा? गोयमा ! अपरित्ते दुविहे पण्णत्ते । तं जहा- कायअपरित्ते य १ संसारअपरित्ते य २। [१३७९ प्र.] भगवन् ! अपरीत जीव कितने काल तक अपरीतपर्याय में रहता है ? [१३७९ उ.] गौतम ! अपरीत दो प्रकार के हैं, वह इस प्रकार - (१) काय-अपरीत और (२) संसार १. वही मलय. वृत्ति, पत्रांक ३९४
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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