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________________ ३७०] [प्रज्ञापनासूत्रं १३०९. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइए णं भंते ! ० पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ । [१३०९ प्र.] भगवन् ! प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक (उक्त स्वपर्याय में कितने काल तक लगातार रहता है ?) [१३०९ उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त तक और उत्कृष्ट सत्तर कोटाकोटी सागरोपम तक (वह प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिकरूप में बना रहता है।) १३१०. णिगोए णं भंते ! णिगोए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणंत कालं, अणंताओ उस्सप्पिणि-ओसप्पिणीओ कालओ, खेत्तओ अड्डाइजा पोग्गलपरियट्टा । [१३१० प्र.] भगवन् ! निगोद, निगोद के रूप में कितने काल तक (लगातार) रहता है ? [१३१० उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त तक, उत्कृष्ट अनन्तकाल तक, कालतः अनन्त उत्सर्पिणीअवसर्पिणियों तक, क्षेत्रतः ढाई पुद्गलपरिवर्त्त तक (वह निगोदपर्याय में बना रहता है।) १३११. बादरनिगोदे णं भंते ! बादर ० पुच्छा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीओ। [१३११ प्र.] भगवन् ! बादर निगोद, बादर निगोद के रूप में कितने काल तक रहता है ? ' [१३११ उ.] गौतम ! वह जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट सत्तर कोटाकोटी सागरोपम तक बादर निगोद के रूप में बना रहता है। १३१२. बादरतसकाइए णं भंते ! बादयरतसकाइए त्ति कालओ केवचिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेजवासअब्भहियाइं । [१३१२ प्र.] भगवन् ! बादर त्रसकायिक बादर त्रसकायिक के रूप में कितने काल तक रहता है ? [१३१२ उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट संख्यातवर्ष अधिक दो हजार सागरोपम तक (वह त्रसकायिक-पर्याय वाला बना रहता है।) १३१३. एतेसिं चेव अपजत्तगा सव्वे वि जहण्णेणं वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं । [१३१३] इन (पूर्वोक्त) सभी (बादर जीवों) के अपर्याप्तक जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त काल तक अपने-अपने पूर्व पर्यायों में बने रहते हैं। १३१४. बादरपज्जत्तए णं भंते ! बादरपज्जत्त ० पुच्छा?
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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