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दसवाँ चरमपद]
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अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च २६ ।
[७८५ प्र.] भगवन्! पञ्चप्रदेशिक स्कन्ध के विषय में (मेरी पूर्ववत्) पृच्छा है: (उसका क्या समाधान
है?)
[७८५ उ.] गौतम! पंचप्रदेशिक स्कन्ध १. कथंचित् चरम 86 है, २. अचरम नहीं है, ३. कथंचित् अवक्तव्य 8 08] है, (किन्तु वह) ४ न तो अनेक चरमरूप है,५. न अनेक अचरमरूप है, ६. न ही अनेक अवक्तव्यरूप है (किन्तु) ७. कथञ्चित् चरम और अचरम oda है, (वह) ८. एक चरम और अनेक चरमरूप नहीं है, (किन्तु) ९. कथंचित् अनेक चरमरूप और एक अचरम 00000 है, १० कथंचित् अनेक चरमरूप और अनेक अचरमरूपागाव है, ११. कथंचित् एक चरम और एक अवक्तव्य ०००० है, १२. कथंचित् एक चरम और अनेक अवक्तव्यरूप । (तथा)
न
१३.कथंचित् अनेक चरमरूप और एक अवक्तव्य
है, (किन्तु वह) १४. न तो अनेक चरमरूप और
न अनेक अवक्तव्यरूप है, १५. न एक अचरम और एक अवक्तव्य है, १६. न एक अचरम और अनेक अवक्तव्यरूप है, १७. न अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य है, १८. न अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप है, १९. (तथा) न एक चरम, एक अचरम और एक अवक्तव्यरूप है, २०. न एक चरम, एक अचरम और अवक्तव्यरूप है, २१ न एक चरम अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य रूप है २२. (और) न एक चरम, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप है, (किन्तु) २३. कथंचित् अनेक चरमरूप, एक
अचरम और एक अवक्तव्य
०००°है, २४. कथंचित् अनेक चरमरूप, एक अचरम और अनेक
अवक्तव्यरुप
, तथा २५. कथंचित् अनेक अचरमरूप, अनेक अचरमरूप और एक अवक्तव्य
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है; (किन्तु) २६. अनेक चरमरूप, अनेक अचरमरूप और अनेक अवक्तव्यरूप नहीं है।
७८६. छप्पएसिए णं भंते! खंधे पुच्छा।
गोयमा! छप्पएसिए णं खंधे सिय चरिमे 88 १ नो अचरिमे २ सिय अवत्तव्वए 888] ३ नो चरिमाइं ४ नो अचरिमाई ५ नो अवत्तव्वयाई ६, सिय चरिमे य अचरिमे य ७ सिय चरिमे