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[प्रज्ञापनासूत्र
य अचरिमाइंच का ८ सिय चरिमाइं च अचरिमे य BIJB] ९ सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च 8800] १०, सिय चरिमे य अवत्तव्वए य म ११ सिय चरिमे य अवत्तव्वयाइं च
BIBE १२ सिय चरिमाइंच अवत्तव्वए
य
०] १३ सिय चरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च
००
of १४, नो अचरिमे य अवत्तव्वए य १५ नो अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च १६ नो अचरिमाइंच
अवत्तव्वए य १७ णो अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च १८, सिय चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वए य
१९ नो चरिमे य अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च २० नो चरिमे य अचरिमाइंच अवत्तव्वए य २१
नो चरिमे य अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च २२ सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वए य BIT २३ सिय चरिमाइं च अचरिमे य अवत्तव्वयाइं च [ool8] २४ सिय चरिमाइं च अचरिमाई च अवत्तव्वए य [DIT] २५ सिय चरिमाइं च अचरिमाइं च अवत्तव्वयाइं च [ग २६।
[७८६ प्र.] भगवन् ! षट्प्रदेशिक स्कन्ध के विषय में (मेरी पूर्ववत्) पृच्छा है, (उसका क्या समाधान है?)
[७८६ उ.] गौतम! षट्प्रदेशिक स्कन्ध १. कथंचित् चरम है, २. अचरम नहीं है, ३. कथंचित् अवक्तव्य 800 है, (किन्तु) ४. न तो (वह) अनेक चरमरुप है, ५. न अनेक अचरमरुप है, ६. (और) न ही अनेक अवक्तव्यरुप है, किन्तु) ७. कथंचित् चरम और अचरमाविक है, ८. कथंचित् एक चरम और अनेक अचरमरुप बना है, ९. कथंचित् अनेक चरम और एक अचरम 81818] है, १०. कथंचित् अनेक चरमरूप और अनेक अचरमरूप8181010] है, ११. कथञ्चित् एक चरम और अवक्तव्य 818 है,
१२. कथंचित् एक चरम और अनेक अवक्तव्यरूप 88
है, १३. कथंचित् अनेक चरमरूप और एक