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[प्रज्ञापनासूत्र ___ हंता गोयमा ! जणेज्जा । एवं एते छत्तीसं आलावगा।
[१२५८-६ प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्या वाला मनुष्य क्या कृष्णलेश्या वाली स्त्री से कृष्णलेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करता है ?
[१२५८-६ उ.] हाँ, गौतम ! वह उत्पन्न करता है। इस प्रकार (पूर्ववत्) ये भी छत्तीस आलापक हुए।
[७] कम्मभूमयकण्हलेस्से णं भंते ! मणुस्से कण्हलेस्साए इत्थियाए कण्हलेस्सं गब्भं जणेजा?
हंता गोयमा ! जणेज्जा एवं एते वि छत्तीसं आलावगा।
[१२५८-७ प्र.] भगवन् ! कर्मभूमिक कृष्णलेश्या वाला मनुष्य कृष्णलेश्या वाली स्त्री से कृष्णलेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करता है ?
[१२५८-७ उ.] हाँ, गौतम ! वह उत्पन्न करता है। इस प्रकार (पूर्वोक्तानुसार) ये भी छत्तीस आलापक
[८] अकम्मभूमयकण्हलेसे णं भंते ! मणूसे अकम्मभूमयकण्हलेस्साए इत्थियाए अकम्मभूमयकण्हलेसं गब्भं जणेज्जा ? हंता गोयमा ! जणेजा, णवरं चउसु लेसासु सोलस आलावगा । एवं अंतरदीवगा वि ।
छट्ठो उद्देसओ समत्तो ॥ ॥पण्णवणाए भगवईए सत्तरसमं लेस्सापयं समत्तं ॥
[१२५८-८ प्र.] भगवन् ! अकर्मभूमिक कृष्णलेश्या वाला मनुष्य अकर्मभूमिक कृष्णलेश्या वाली स्त्री से अकर्मभूमिक कृष्णलेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करता है ?
[१२५८-८ उ.] हाँ, गौतम ! वह उत्पन्न करता है। विशेषता यह है कि (इनमें पाई जाने वाली) चार लेश्याओं से (सम्बन्धित) कुल १६ आलापक होते हैं। इसी प्रकार अन्तरद्वीपज (कृष्णलेश्यादि वाले मनुष्य से) भी अन्तरद्वीपज कृष्णलेश्यादि वाली स्त्री से अन्तरद्वीपज कृष्णलेश्यादि वाले गर्भ की उत्पत्ति-सम्बन्धी सोलह आलापक होते हैं।
विवेचन - लेश्या को लेकर गर्भोत्पत्तिसम्बन्धी प्ररूपणा - प्रस्तुत सूत्र (१२५८-८ तक) में कृष्णादि छहों लेश्याओं वालों में से प्रत्येक लेश्यावाले पुरूष से, प्रत्येक लेश्यावाली स्त्री से प्रत्येक लेश्यावाले गर्भ की उत्पत्ति का कथन किया गया है।
अपने से भिन्न लेश्यावाले गर्भ को कैसे उत्पन्न करता है ? - अपने से भिन्न लेश्यावाले गर्भ को उत्पन्न करने का कारण यह है कि उत्पन्न होने वाला जीव पूर्वजन्म में लेश्या को ग्रहण करके उत्पन्न होता है।