________________
सत्तरहवाँ लेश्यापद : छठा उद्देशक]
[३५१
स्त्रियों में चार लेश्याएँ पाई जाती हैं। अकर्मभूमिक नर-नारियों में पद्म और शुक्ललेश्या नही होती । लेश्या को लेकर गर्भोत्पत्ति सम्बन्धी प्ररूपणा
१२५८.[१] कण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे कण्हलेस्सं गब्भं जणेजा ? हंता गोयमा ! जणेज्जा। [१२५८-१ प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्या वाला मनुष्य कृष्णलेश्यावान् गर्भ को उत्पन्न करता है ? [१२५७-१ उ.] हाँ, गौतम ! वह उत्पन्न करता है । [२] कण्हस्लेसे णं भंते मणूसे णीललेस्सं गब्भं जणेजा? हंता गोयमा ! जणेजा। [१२५८-२ प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्या वाला मनुष्य नीललेश्यावान् गर्भ को उत्पन्न करता है ? [१२५८-२ उ.] हाँ, गौतम ! वह उत्पन्न करता हैं । [३] एवं काउलेस्सं तेउलेस्सं पम्हलेस्सं सुक्कलेस्सं छप्पिमालावगा भाणियव्वा ।
[१२५८-३] इसी प्रकार (कृष्णलेश्या वाले पुरुष से) कापोतलेश्या, तेजोलेश्या, पद्मलेश्या और शुक्ललेश्या वाले गर्भ की उत्पत्ति के विषय में अलापक कहने चाहिए ।
[४] एवं णीललेसेणं काउलेसेणं तेउलेसेण वि पम्हलेसेण वि सुक्कलेसेण वि, एवं एते छत्तीसं आलावगा।
[१२५८-४] इसी प्रकार (कृष्णवाले पुरूष की तरह) नीललेश्या वाले, कापोतलेश्या वाले, तेजोलेश्या वाले, पद्मलेश्यावाले और शुक्ललेश्या वाले प्रत्येक मनुष्य से इस प्रकार पूर्वोक्त छहों लेश्या वाले गर्भ की उत्पत्तिसम्बन्धी छह-छह आलापक होने से सब छत्तीस आलापक हुए ।
[५] कण्हलेस्सा णं भंते ! इत्थिया कण्हलेस्सं गब्भं जणेज्जा? हंता गोयमा ! जणेजा । एवं एते वि छत्तीसं आलावगा ।
[१२५८-५ प्र.] भगवन् ! क्या कृष्णलेश्या वाली स्त्री कृष्णलेश्या वाले गर्भ को उत्पन्न करती है? _ [१२५८-५ उ.] हाँ, गौतम ! उत्पन्न करती है। इसी प्रकार (पूर्यवत्) ये भी छत्तीस आलापक कहने चाहिए ।
[६] कण्हलेस्से णं भंते ! मणूसे कण्हलेसाए इत्थियाए कण्हलेस्सं गब्भं जणेज्जा? १. पण्णवणासुत्तं (मूलपाठ) भा. १, पृ. ३०१-३०२