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[ प्रज्ञापनासूत्र
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सामूहिक लेश्या की अपेक्षा से चौवीसदण्डकों में उत्पाद - उद्वर्तननिरूपण
१२०८. सेणूणं भंते ! कण्हलेस्से णीलेस्से काउलेस्से णेरइए कण्हलेस्सेसु णीललेस्सेसु काउलेस्सेसु णेरइएस उववज्जति ? कण्हलेस्से णीललेस्से काउलेस्से उव्वट्टति जल्लेसे उववज्जति तल्लेसे उव्वट्टति ?
हंता गोयमा ! कण्हलेस्स - णीललेस्स - काउलेस्सेसु उववज्जति, जल्लेसे उववज्जति तल्ले से उव्वट्टति ।
[१२०८ प्र.] भगवन् ! कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या वाला नैरयिक क्या क्रमशः कृष्णलेश्या वाले, नीललेश्या वाले और कापोतलेश्या वाले नैरयिकों में उत्पन्न होता है? क्या वह (क्रमश:) कृष्णलेश्या वाला, नीललेश्या वाला तथा कापोतलेश्या वाला होकर ही ( वहाँ से) उद्वर्त्तन करता है ? (अर्थात्-) (जो नारक) जिस लेश्या से युक्त होकर उत्पन्न होता है, क्या वह उसी लेश्या से युक्त होकर मरण करता ?
[१२०८ उ.] हाँ, गौतम ! ( वह क्रमशः) कृष्णलेश्या, नीललेश्या और कापोतलेश्या वाले नारकों में उत्पन्न होता है और जो नारक जिस लेश्या वाला होकर उत्पन्न होता है, वह उसी लेश्या से युक्त होकर मरण करता है ।
१२०९. से णूणं भंते ! कण्हलेस्से जाव तेउलेस्से असुरकुमारे कण्हलेस्सेसु जाव तेउलेस्से असुरकुमारेसु उववज्जति ?
एवं जहेव नेरइए (सु. १२०८ ) तहा असुरकुमारे वि जाव थणियकुमारे वि ।
[१२०९ प्र.] भगवन् ! क्या कृष्णलेश्या वाला, यावत् तेजोलेश्या वाला असुरकुमार (क्रमश:) कृष्णलेश्या वाले यावत् तेजोलेश्या वाले असुरकुमारों में उत्पन्न होता है ? ( और क्या वह कृष्णलेश्या वाला यावत् तेजोलेश्या वाला होकर ही असुरकुमारों से उद्धृत होता है ? )
[१०९ उ.] हाँ, गौतम ! जैसे (सू. १२०८ में नैरयिक के उत्पाद - उद्वर्त्तन के सम्बन्ध में कहा, , वैसे ही असुरकुमार के विषय में भी, यावत् स्तनितकुमार के विषय में भी कहना चाहिए ।)
१२१०.[ १ ]से णूणं भंते ! कण्हल्लेसे जाव तेउल्लेसे पुढविकाइए कण्हल्लेसेसु जाव तेउल्लेसेसु पुढविकाइएसु उववज्जति ? एवं पुच्छा जहा असुरकुमाराणं ।
हंता गोयमा ! कण्हलेस्से जाव तेउलेस्से पुढविकाइए कण्हलेस्सेसु जाव तेउलेस्सेसु पुढविक्काइए सु उववज्जति, सिय कण्हलेस्से उवट्टति सिय णीललेस्से सिय काउलेस्से उव्वदृति, सिय जल्लेस्से उववज्जइ तल्लेसे उव्वट्ट, तेउलेस्से उववज्जइ, णो चेव णं तेउलेस्से उव्वट्टति ।
[१२१०-१ प्र.] भगवन् कृष्णलेश्या वाला यावत् तेजोलेश्या वाला पृथ्वीकायिक, क्या (क्रमश:) कृष्णलेश्या वाले यावत् तेजोलेश्या वाले पृथ्वीकायिकों में उत्पन्न होता है ? ( और क्या वह जिस लेश्या से युक्त