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________________ प्रज्ञापनासूत्र ३०० ] कहना चाहिए । १९८५. एतेसि णं भंते! जोइसियाणं देवाण देवीण य तेउलेस्साणं कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा • बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ४ ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जोइसियदेवा तेउलेस्सा, जोइसिणिदेवीओ तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ । [११८५ प्र.] भगवन् ! इन तेजोलेश्या वाले ज्योतिषक देवों-देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [११८५ उ.] गौतम ! सबसे थोड़े तेजोलेश्या वाले ज्योतिष्क देव हैं, उनसे तेजोलेश्या वाली ज्योतिष्क देवियां संख्यातगुणी हैं । ११९८६. एतेसि णं भंते! वेमाणियाणं देवाणं तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा ४ । गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा असंखेज्जगुणा । [११८६ प्र.] भगवन् ! इन तेजोलेश्या वाले, पद्मलेश्या वाले और शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देवों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? [११८६ उ.] गौतम ! सबसे कम शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देव हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले असंख्यात हैं और उनसे भी तेजोलेश्या वाले (देव) असंख्यातगुणे हैं । ११८७. एतेसि णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं देवीण य तेउलेस्साणं पम्हलेस्साणं सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्साओ वेमाणिणीओ देवीओ संखेज्जगुणाओ । [११८७ प्र.] भगवन् ! इन तेजोलेश्या वाले, पद्मलेश्या वाले और शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देवों औद देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ? [११८७ उ.] गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देव हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले (वेमानिक देव) असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले (वैमानिक देव) असंख्यातगुणे हैं, ( उनसे) तेजोलेश्या वाली वैमानिक देवियां संख्यातगुणी हैं । ११८८. एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाण य देवाणं कण्हलेस्साणं जाव सुक्कलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा ४ ? गोयमा ! सव्वत्थोवा वेमाणिया देवा सुक्कलेस्सा, पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा, तेउलेस्सा
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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