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सत्तरहवाँ लेश्यापद : द्वितीय उद्देशक]
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किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[११८३-१ उ.] गौतम ! सबसे कम तेजोलेश्या वाले भवनवासी देव हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले (भवनवासी देव) असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं और उनसे भी कृष्णलेश्या वाले (भवनवासी देव) विशेषाधिक हैं। ।
_[२] एतेसि णं भंते ! भवणवासिणीणं देवीणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा ४?
गोयमा ! एवं चेव ।
[११८३-२ प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाली यावत् तेजोलेश्या वाली भवनवासी देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[११८३-२ उ.] गौतम ! (जैसे कृष्णलेश्या वाले से लेकर तेजोलेश्या पर्यन्त भवनवासी देवों का अल्पबहुत्व कहा है) इसी प्रकार उनकी देवियों का भी अल्पबहुत्व कहना चाहिए ।
[३] एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहिंतो अप्पा वा ४?
गोयमा ! सव्वत्थोवा भवणवासी देवा तेउलेस्सा, भवणवासिणीओ तेउलेस्साओ संखेजगुणाओ, काउलेस्सा भवणवासी असंखेजगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया, काउलेस्साओ भवणवासिणीओ संखेजगुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ।
[११८३-३ प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या, यावत् तेजोलेश्या वाले भवनवासी देवों और देवियों में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक हैं ।
[११८३-३ उ.] गौतम ! सबसे थोड़े तेजोलेश्या वाले भवनवासी देव हैं, उनसे तेजोलेश्या वाली भवनवासी देवियां संख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले (भवनवासी देव) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्यी (भवनवासी देव) विशेषाधिक हैं, उनसे कापोतलेश्या वाली भवनवासी देवियां संख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्या वाली (भवनवासी देवियां) विशेषाधिक हैं और उनसे भी कृष्णलेश्या वाली भवनवासी देवियां विशेषाधिक हैं ।
११८४. एवं वाणमंतराण वि तिण्णेव अप्पाबहुया जहेव भवणवासीणं तहेव भाणियव्वा (११८३ [१-३])।
[११८४] जिस प्रकार (सू. ११८३-१ से ३ तक में) भवनवासी देव-देवियों का अल्पबहुत्व कहा है, इसी प्रकार वाणव्यन्तरों के तीनों ही (देवों, देवियों और देव-देवियों का सम्मिलित) प्रकारों का अल्पबहुत्व