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सत्तरहवाँ लेश्यापद : द्वितीय उद्देशक]
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असंखेजगुणा; तेउलेस्सा भवणवासी देवा असंखेजगुणा, काउलेस्सा असंखेजगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया; तेउलेस्सा वाणमंतरा देवा असंखेजगुणा, काउलेस्सा असंखेजगुणा, णीललेस्सा विसेसाहिया, किण्हलेस्सा विसेसाहिया; तेउलेस्सा जोइसियदेवा संखेजगुणा ।
[११८८ प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवा में से कौन, किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[११८८ उ.] गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्या वाले वैमानिक देव हैं, उनसे पद्मलेश्या वाले (वैमानिकदेव) असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले (वैमानिक देव) असंख्यातगुणे हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले (भवनवासी देव) असंख्यातगुणे है, उनसे नीललेश्या वाले (भवनवासी देव) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाले (भवनवासी देव) विशेषाधिक हैं, उनसे तेजोलेश्या वाले वाणव्यन्तर देव असंख्यातगुणे हैं, उनसे कापोतलेश्या वाले (वाणव्यन्तर देव) असंख्यातगुणे हैं, उनसे नीललेश्या वाले (वाणव्यन्तर देव) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाले (वाणव्यन्तर देव) विशेषाधिक हैं, उनसे भी तेजोलेश्या वाले ज्योतिष्क देव संख्यातगुणे हैं ।
११८९. एतासिं णं भंते ! भवणवासिणीणं वाणमंतरीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीण य कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कतरे कतरेहितो अप्पा वा ४ ?
गोयमा ! सव्वत्थोवाओ देवीओ वेमाणिणीओ तेउलेस्साओ; भवणवासिणीओ तेउलेस्साओ असंखेजगुणाओ, काउलेस्साओ असंखेजगुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ; तेउलेस्साओ वाणमंतरीओ देवीओ असंखेज्जगुणाओ, काउलेस्साओ असंखेजगुणाओ, णीललेस्साओ विसेसाहियाओ, कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ, तेउलेस्साओ जोइसिणीओ देवीओ संखेजगुणाओ ।
[११८९ प्र.] भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाली ले लेकर तेजोलेश्या वाली भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क एवं वैमानिक देवियों में से कौन (देवियां), किनसे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ?
[११८९ उ.] गौतम ! सबसे थोड़ी तेजोलेश्या वाली वैमानिक देवियां हैं, उनसे तेजोलेश्या वाली भवनवासी देवियाँ असंख्यातगुणी हैं, उनसे कापोतलेश्या वाली (भवनवासी देवियाँ) असंख्यातगगुणी हैं, उनसे नीललेश्या वाली (भवनवासी देवियाँ) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाली (भवनवासीदेवियाँ) विशेषाधिक हैं, उनसे तेजोलेश्या वाली वाणव्यन्तर देवियाँ असंख्यातगुणी अधिक हैं, उनसे कापोतलेश्या वाली (वाणव्यन्तर देवियाँ) असंख्यातगुणी हैं, उनसे नीललेश्या वाली (वाणव्यन्तर देवियाँ) विशेषाधिक हैं, उनसे कृष्णलेश्या वाली (वाणन्यन्तर देवियाँ) विशेषाधिक हैं। उनसे तेजोलेश्या वाली ज्योतिष्क देवियाँ संख्यातगुणी हैं ।
११९०. एतेसि णं भंते ! भवणवासीणं जाव वेमाणियाणं देवाण य देवीण कण्हलेस्साणं