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[प्रज्ञापनासूत्र
गोयमा ! छल्लेसाओ, तं जहा- कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा । [११६३-३ प्र.] भगवन् ! गर्भज-पंचेन्द्रियतिर्यञ्चों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [११६३-३ उ.] गौतम ! (उनमें) छह लेश्याएँ होती हैं- कृष्णलेश्या से शुक्ललेश्या तक । [४] तिरिक्खजोणिणीणं पुच्छा ? गोयमा ! छल्लेसाओ एताओ चेव । [११६३-४ प्र.] भगवन् ! गर्भज तिर्यञ्चयोनिक स्त्रियों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [११६३-४ उ.] गौतम ! ये ही (कृष्ण आदि) छह लेश्याएँ होती हैं। ११६४.[१] मणुस्साणं पुच्छा? गोयमा ! छल्लेसाओ एताओ चेव । [११६४-१ प्र.] भगवन् ! मनुष्यों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [११६४-१ उ.] गौतम ! ये ही छह लेश्याएँ होती है। [२] सम्मुच्छिममणुस्साणं पुच्छा ? गोयमा ! जहा णेरइयाणं (सु. ११५७)। [११६४-२] भगवन् ! सम्मूर्छिम मनुष्यों में कितनी लेश्याएँ होती है ?
[११६४-२] गौतम ! जैसे नारकों में प्रारम्भ की तीन लेश्याएँ कही है, वैसे ही सम्मूर्छिम मनुष्यों में भी होती हैं।
[३] गब्भवकंतयमणूसाणं पुच्छा ? गोयमा ! छल्लेसाओ, तं जहा- कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेसा । [११६४-३ प्र.] भगवन् ! गर्भज मनुष्यों में कितनी लेश्याएँ होती हैं ? [११६४-३ उ.] गौतम ! (उनमें) छह लेश्याएँ होती हैं- कृष्णलेश्या से लेकर शुक्ललेश्या तक। [४] मणुस्सीणं पुच्छा? गोयमा ! एवं चेव । [११६४-४ प्र.] भगवन् ! गर्भज मानुषी (स्त्री) में कितनी लेश्याएँ कही हैं ?
[११६४-४ उ.] गौतम ! (जैसे गर्भज मनुष्यों में छह लेश्याएँ होती हैं) इसी प्रकार (गर्भज स्त्रियों में भी) छह लेश्याएँ समझनी चाहिए ।