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सोलहवाँ प्रयोगपद]
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णोभवोववातगती दुविहा पण्णत्ता । तं जहा- पोग्गलणोभवोववातगती य सिद्धणोभवोववातगती य ।
[११०० प्र.] वह नोभवोपपातगति किस प्रकार की है ?
[११०० उ.] नोभवोपपातगति दो प्रकार की कही है, वह इस प्रकार- पुद्गल-नोभवोपपातगति और सिद्ध-नोभवोपपातगति ।
११०१. से किं तं पोग्गलणोभवोववातगती?
पोग्गलणोभवोववातगती जण्णं परमाणुपोग्गले लोगस्स पुरथिमिल्लओ चरिमंताओ पच्छिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, पच्छिमिल्लओ वा चरिमंताओ पुरथिमिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, दाहिणिल्लओ वा चरिमंताओ उत्तरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति, एवं उत्तरिल्लतो दाहिणिल्लं, उवरिल्लाओ हेट्ठिल्लं, हेट्ठिल्लओ वा उवरिल्लं । सेत्तं पोग्गलणोभवोववातगती ।
[११०१ प्र.] वह पुद्गल-नोभवोपपातगति क्या है ? • [११०१ उ.] जो पुद्गल परमाणु लोक के पूर्वी चरमान्त अर्थात् छोर से पश्चिमी चरमान्त तक एक ही समय में चला जाता है, अथवा पश्चिमी चरमान्त से पूर्वी चरमान्त तक एक समय में गमन करता है, अथवा दक्षिणी चरमान्त से उत्तरी चरमान्त तक एक समय में गति करता है, या उत्तरी चरमान्त से दक्षिणी चरमान्त तक तथा ऊपरी चरमान्त (छोर) से नीचले चरमान्त तक एवं नीचले चरमान्त से ऊपरी चरमान्त तक एक समय में ही गति करता है; यह पुद्गल-नोभवोपपातगति कहलाती है। यह हुआ पुद्गल-नोभवोपपातगति का निरूपण।
११०२. से किं तं सिद्धणोभवोववातगती?
सिद्धणोभवोववातगती दुविहा पण्णत्ता । तं जहा- अणंतरसिद्धणोभवोववातगती य परंपरसिद्धणोभवोववातगती य । । [११०२ प्र.] वह सिद्ध-नोभवोपपातगति कितने प्रकार की है ?
[११०२ उ.] सिद्ध-नोभवोपपातगति दो प्रकार की कही है, वह इस प्रकार - अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति और परम्परसिद्ध-नोभवोपपातगति ।
११०३. से किं तं अणंतरसिद्धणोभवोववातगति ? .
अणंतरसिद्धणोभवोवंवातगती पन्नरसविहा पण्णत्ता । तं जहा- तित्थसिद्धअणंतरसिद्धणोभवोववातगति य जाव अणेगसिद्धणोभवोववातगती य ।[ से तं अणंतरसिद्धणोभवोववातगती।]
[११०३ प्र.] वह अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति कितने प्रकार की है ? [११०३ उ.] अनन्तरसिद्ध-नोभवोपपातगति पन्द्रह प्रकार की है। वह इस प्रकार - तीर्थसिद्ध-अनन्तरसिद्ध