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तेरहवां परिणामपद]
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[९५० उ.] गौतम ! (संस्थानपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार- (१) परिमण्डलसंस्थानपरिणाम, यावत् [(२) वृत्तसंस्थानपरिणाम, (३) त्र्यस्नसंस्थानपरिणाम, (४) चतुरस्त्रसंस्थानपरिणाम और] (५) आयतसंस्थानपरिणाम ।
९५१. भेयपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा- खंडाभेदपरिणामे जाव उक्करियाभेदपरिणामे । [९५१ प्र.] भगवन् ! भेदपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
[९५१ उ.] गौतम ! (भेदपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार- (१) खण्डभेदपरिणाम, यावत् [(२) प्रतरभेदपरिणाम, (३) चूर्णिका (चूर्ण) भेदपरिणाम, (४) अनुतटिकाभेदपरिणाम और] (५) उत्कटिका (उत्करिका) भेदपरिणाम ।
९५२. वण्णपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा- कालवण्णपरिणामे जाव सुक्किलवण्णपरिणामे। [९५२ प्र.] भगवन् ! वर्णपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
[९५२ उ.] गौतम ! (वर्णपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार- (१) कृष्णवर्णपरिणाम, यावत् [(२) नीलवर्णपरिणाम, (३) रक्तवर्णपरिणाम, (४) पीतवर्णपरिणाम और] (५) शुक्ल (श्वेत) वर्णपरिणाम ।
९५३. गंधपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा- सुब्भिगंधपरिणामे य दुब्भिगंधपरिणामे य। [९५३ प्र.] भगवन् ! गंधपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
[९५३ उ.] गौतम ! (गन्धपरिणाम) दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - सुगन्धपरिणाम और दुर्गन्धपरिणाम ।
९५४. रसपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा - तित्तरसपरिणामे जाव महुररसपरिणामे। [९५४ प्र.] भगवन् ! रसपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ?
[९५४ उ.] गौतम ! (रसपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - (१) तिक्तरसपरिणाम, यावत् [(२) कटुरसपरिणाम, (३) कषायरसपरिणाम, (४) अम्ल (खट्टा) रसपरिणाम और] (५) मधुररसपरिणाम ।