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________________ तेरहवां परिणामपद] [१४३ [९५० उ.] गौतम ! (संस्थानपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार- (१) परिमण्डलसंस्थानपरिणाम, यावत् [(२) वृत्तसंस्थानपरिणाम, (३) त्र्यस्नसंस्थानपरिणाम, (४) चतुरस्त्रसंस्थानपरिणाम और] (५) आयतसंस्थानपरिणाम । ९५१. भेयपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा- खंडाभेदपरिणामे जाव उक्करियाभेदपरिणामे । [९५१ प्र.] भगवन् ! भेदपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९५१ उ.] गौतम ! (भेदपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार- (१) खण्डभेदपरिणाम, यावत् [(२) प्रतरभेदपरिणाम, (३) चूर्णिका (चूर्ण) भेदपरिणाम, (४) अनुतटिकाभेदपरिणाम और] (५) उत्कटिका (उत्करिका) भेदपरिणाम । ९५२. वण्णपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा- कालवण्णपरिणामे जाव सुक्किलवण्णपरिणामे। [९५२ प्र.] भगवन् ! वर्णपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९५२ उ.] गौतम ! (वर्णपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार- (१) कृष्णवर्णपरिणाम, यावत् [(२) नीलवर्णपरिणाम, (३) रक्तवर्णपरिणाम, (४) पीतवर्णपरिणाम और] (५) शुक्ल (श्वेत) वर्णपरिणाम । ९५३. गंधपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते । तं जहा- सुब्भिगंधपरिणामे य दुब्भिगंधपरिणामे य। [९५३ प्र.] भगवन् ! गंधपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९५३ उ.] गौतम ! (गन्धपरिणाम) दो प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - सुगन्धपरिणाम और दुर्गन्धपरिणाम । ९५४. रसपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते । तं जहा - तित्तरसपरिणामे जाव महुररसपरिणामे। [९५४ प्र.] भगवन् ! रसपरिणाम कितने प्रकार का कहा गया है ? [९५४ उ.] गौतम ! (रसपरिणाम) पांच प्रकार का कहा गया है, वह इस प्रकार - (१) तिक्तरसपरिणाम, यावत् [(२) कटुरसपरिणाम, (३) कषायरसपरिणाम, (४) अम्ल (खट्टा) रसपरिणाम और] (५) मधुररसपरिणाम ।
SR No.003457
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages545
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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