SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७२] [जीवाजीवाभिगमसूत्र यावत् वहां अरूणवरावभासभद्र एवं अरूणवरावभासमहाभद्र नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं। इसी तरह अरुणवरावभाससमुद्र में अरूणवरावभासवर एवं अरूणवरावभासमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव वहां रहते हैं । शेष पूर्ववत् । कुण्डलद्वीप में कुण्डलभद्र एवं कुण्डलमहाभद्र नाम के दो देव रहते हैं और कुण्डलोदसमुद्र में चक्षुशुभ और चक्षुकांत नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । शेष वर्णन पूर्ववत् जानना चाहिए। कुण्डलवरद्वीप में कुण्डलवरभद्र और कुण्डलवरमहाभद्र नामक दो महर्द्धिक देव रहते हैं। कुण्डलवरोदसमुद्र में कुण्डलवर और कुण्डलवरमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं। कुण्डलवरावभासद्वीप में कुण्डलवरावभासभद्र और कुण्डलवरावभासमहाभद्र नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । कुण्डलवरावभासोदकसमुद्र में कुण्डलवरोभासवर एवं कुण्डलवरोभासमहावर नाम के दो महर्धिक देव रहते हैं । ये देव पल्योपम की स्थिति वाले हैं आदि वर्णन जानना चाहिए। १८५. (इ) कुण्डलवरोभासं णं समुदं रूचगे णामं दीवे वलयागार० जाव चिट्ठइ। किं समचक्कवाल० विसमचक्कवाल? गोयमा ! समचक्कवाल० नो विसमचक्कवालसंठिए। केवइयं चक्कवाल० पण्णत्ते ? सव्वट्ठमणोरमा एत्थ दो देवा, सेसं तहेव। रू यगोदे णामं समुद्दे जहा खोदोदे समुद्दे संखे जाई जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं, संखेजाइं जोयणसयसहस्साइं परिक्खेवेणं। दारा, दारंतरं वि संखेजाइं, जोइस पि सव्वं सखेजं भाणियव्वं। अट्ठो वि जहेव खोदोदस्स णवरि सुमण-सोमणसा एत्थ दो देवा महिड्डिया तहेव। रूयगाओ आढत्तं असंखेनं विक्खंभ परिक्खेवो दारा दारंतरं जोइसं च सव्वं असंखेजं भाणियव्वं। रूयदोगं णं समुदं रूयगवरे णं दीवे वट्टे रूयगवरभद्द-रूयगवरमहाभद्दा एत्थ दो देवा। रूयगवरोदे रूयगवर-रूयगवरमहावरा एत्थ दो देवा महिड्डिया। रूयगवराभासे दीवे रूयगवरावभासभद्द-रूयगवरावभासमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिड्डिया। रूयगवरावभासे समुद्दे रूयगवरावभावसर-रूयगवरावभासमहावरा एत्थ दो देवा० । हारद्दीवे । हारभद्द-हारमहाभद्दा दो देवा। हारसमुद्दे हारवर-हारवरमहावरा एत्थ दो देवा महिड्डिया। हारवरदीवे हारवरभद्द-हारवरमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिडिया। हारवरोए समुद्दे हारवर-हारवरमहावरा एत्थ दो देवा०। हारवरावभासे दीवे हारवरावभासभद्दहारवरावभासमहाभद्दा एत्थ दो देवा० । हारवरावभासोए समुद्दे हारवरावभावरहारवरावभासमहावरा एत्थ दो देवा महिड्डिया। एवं सव्वेवि तिपडोयारा णेयव्वा जाव सूरवरावभोसोदे समुद्दे।
SR No.003455
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy