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________________ तृतीय प्रतिपत्ति : अरूणद्वीप का कथन] [७१ ऐसा नाम इस कारण है कि यहां पर बावड़ियां इक्षुरस जैसे पानी से भरी हुई हैं । इसमें उत्पातपर्वत हैं जो सर्ववज्रमय है और स्वच्छ हैं । यहां अशोक और वीतशोक नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं । इस कारण से इसका नाम अरूणद्वीप है। यहां सब ज्योतिप्कों की संख्या संख्यात जाननी चाहिए। १८५. (आ) अरूणं णं दीवं अरूणोदे णामं समुद्दे, तस्सवि तहेव परिक्खेवो अठ्ठो, खोदोदगे, णवरिं सुभद्दसुमणभद्दा एत्थ दुवे देवा महिड्डिया सेसं तहेव। __ अरूणोदगं समुदं अरूणवरे णामं दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए तहेव संखेजगं सव्वं जाव अट्ठो खोदोदगपडिहत्थाओ० उप्पायपव्वया सव्ववइरामया अच्छा। अरूणवरभद्दअरूणवरमहाभद्द एत्थ दो देवा महिड्डिया० । एवं अरुणवरोदेवि समुद्दे जाव देवा अरूणवरअरूणमहावरा य एत्थ दो देवा, सेसं तहेव। ___ अरूणवरोदं णं समुदं अरूणवरावभासे णामं दीवे वट टे जाव देवा अरूणवरावभासभद्द-अरूणव-रावभासमहाभद्दा य एत्थ दो देवा महिड्ढिया। एवं अरूणवरावभासे समुद्दे णवरं देवा अरूणवरावभासवर-अरूणवरावभासमहावरा एत्थ दो देवा महिड्डिया। कुण्डले दीवे कुंडलभद्द-कुंडलमहाभद्दा दो देवा महिड्डिया। कुंडलोदे समुद्दे चक्खसुभचक्खुकंता एत्थ दो देवा महिड्डिया। कुंडलवरे दीवे कुण्डलवरभद्द-कुण्डलवरमहाभद्दा एत्थ णं दो देवा महिड्डिया। कुंडलवरोदे समुद्दे कुण्डलवर-कुंडलवरमहावर एत्थ दो देवा महिड्डिया। ___कुंडलवरावभासे दीवे कुंडलवरावभालभद्द-कुंडलवरावभासमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिड्डिया। कुंडलवरोभासोदे समुद्दे कुंडलवरोभासवर-कुंडलवरोभासमहावरा एत्थ दो देवा महिड्डिया जाव पलिओवमट्ठिइया परिवसंति। __ १८५. (आ) अरूणद्वीप को चारों ओर से घेरकर अरूणोद नाम का समुद्रअवस्थित है । उसका विष्कंभ, परिधि, अर्थ, उसका इक्षुरस जैसा पानी आदि सब कथन पूर्ववत् जानना चाहिए। विशेषता यह है कि इसमें सुभद्र और सुमनभद्र नामक दो महर्द्धिक देव रहते हैं, शेष पूर्ववत् कहना चाहिए। ___उस अरूणोदक नामक समुद्र को अरूणवर नाम का द्वीप चारों ओर से घेरकर स्थित है। वह गोल और वलयाकार संस्थान वाला है। उसी तरह संख्यात लाख योजन का विष्कंभ, परिधि आदि जानना चाहिए। अर्थ के कथन में इक्षुरस जैसे जल से भरी बावड़ियां, सर्ववज्रमय एवं स्वच्छ, उत्पातपर्वत और अरूणवरभद्र एवं अरूणवरमहाभद्र नाम के दो महर्द्धिक देव वहां निवास करते हैं आदि कथन करना चाहिए। इसी प्रकार अरूणवरोद नामक समुद्र का वर्णन भी जानना चाहिए यावत् वहां अरूणवर और अरूणमहावर नाम के दो महर्द्धिक देव रहते हैं। शेष पूर्ववत् । अरूणवरोदसमुद्र को अरूणवरावभास नाम का द्वीप चारों ओर से घेर कर स्थित है । वह गोल है
SR No.003455
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size5 MB
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