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तृतीय प्रतिपत्ति : नंदीश्वर द्वीप की वक्तव्यता]
[६९ णंदाओ पुक्खरिणीओ पण्णत्ताओ, तं जहा
भद्दा य विसाला य कुमुया पुंडरिगिणो।
नंदुत्तरा य नंदा आनंदा नंदिवद्धणा॥ तं चेव दहिमुहा पव्वया चेव पमाणं जाव सिद्धाययणा। तत्थ णं जे से पच्चत्थिमिल्ले अंजणपव्वए तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि णंदा पुक्खरिणीओ पण्णत्ताओ, तं जहा
___णंदिसेणा अमोहा य गोथूभा य सुदंसणा।
भद्दा विसाला कु मुया पुंडरिगिणि॥ तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव सिद्धाययणा।
तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले अंजणपव्वए तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि णंदा पुक्खरिणीओ तं जहा-विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिया। सेसं तहेव जाव सिद्धाययणा। सव्वाय चिय वण्णणा णायव्वा। __ तत्थ णं बहवे भवणवइ-वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया देवा चाउमासियासु पडिवयासु संवच्छरीएसु वा अण्णेसु बहुसु जिणजम्मण-निक्खमण-णाणुप्पत्ति-परिणिव्वाणमाइएसु सुभदेवकज्जेसु य देवसमुदएसु य देवसमिईसु य देवसमवाएसु य देवपओयणेसु य एगंतओ सहिया समुवागया समाणा पमुइयपक्कीलिया अट्ठहियारूवाओ महामहिमाओ करेमाणा पालेमाणा सुहंसुहेणं विहरंति। कइलासहरिवाहणा य तत्थ दुवे देवा महिड्डिया जाव पलिओवमट्ठिइया परिवसंति; से तेणढेणं गोयमा ! जाव णिच्चा, जोइसं संखेज।
१८३. (घ) उनमें जो दक्षिणदिशा का अंजनपर्वत है, उसकी चारों दिशाओं में चार नंदा पुष्करिणियां हैं । उनके नाम इस प्रकार हैं - भद्रा, विशाला, कुमुदा और पुंडरीकिणी। (अथवा नंदोत्तरा, नंदा, आनन्दा
और नंदिवर्धना)। उसी तरह दधिमुख पर्वतों का वर्णन उतना ही प्रमाण आदि सिद्धायतन पर्यन्त कहना चाहिए।
दक्षिणदिशा के अंजनपर्वत की चारों दिशाओं में चार नंदा पुष्करिणियां हैं। उनके नाम हैंनंदिसेना, अमोघा, गोस्तूपा और सुदर्शना। अथवा भद्रा, विशाला, कुमुदा और पुंडरीकिणी। सिद्धायतन पर्यन्त सब कथन पूर्ववत् कहना चाहिए। ___उत्तरदिशा के अंजनपर्वत की चारों दिशाओं में चार नंदा पुष्करिणियां हैं । उनके नाम हैं - विजया, वैजयन्ती, जयन्ती और अपराजिता। शेष सब वर्णन सिद्धायतन पर्यन्त पूर्ववत् जानना चाहिए।
उन सिद्धायतनों में बहुत से भवनपति, वान-व्यन्तर ज्योतिष्क और वैमानिक देव चातुर्मासिक प्रतिपदा आदि पर्व दिनों में, सांवत्सरिक उत्सव के दिनों में तथा अन्य बहुत से जिनेश्वर देव के जन्म,