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[जीवाजीवाभिगमसूत्र __गौतम ! मानुषोत्तरपर्वत १७२१ योजन पृथ्वी से ऊँचा है । ४३० योजन और एक कोस पृथ्वी में गहरा है। यह मूल में १०२२ योजन चौड़ा है, मध्य में ७२३ योजन चौड़ा और ऊपर ४२४ योजन चौड़ा है।
पृथ्वी के भीतर की इसकी परिधि एक करोड़ बयालीस लाख तीस हजार दो सौ उनपचास (१,४२,३०,२४९) योजन है। बाह्यभाग में नीचे की परिधि एक करोड़ बयालीस लाख, छत्तीस हजार सात सौ चौदह (१,४२,३६,७१४) योजन है । मध्य में एक करोड़ बयालीस लाख चौंतीस हजार आठ सौ तेईस (१,४२,३४,८२३) योजन की है। ऊपर की परिधि एक करोड़ बयालीस लाख बत्तीस हजार नौ । सौ बत्तीस (१,४२,३२,९३२) योजन की है।
यह पर्वत मूल में विस्तीर्ण, मध्य में संक्षिप्त और ऊपर पतला (संकुचित) है। यह भीतर से चिकना है , मध्य में प्रधान (श्रेष्ठ) और बाहर से दर्शनीय है। यह पर्वत कुछ बैठा हुआ है अर्थात जैसे सिंह अपने आगे के दोनों पैरों को लम्बा करके पीछे के दोनों पैरों को सिकोडकर बैठता है, उस रीति से बैठा हुआ है । (शिरः प्रदेश में उन्नत और पिछले भाग में निम्न निम्नतर है। इसी को और स्पष्ट करते है कि) यह पर्वत आधे यव की राशि के आकार में रहा हुआ है (अर्ध्व-अधोभाग से छिन्न और मध्यभाग में उन्नत है)। यह पर्वत पूर्णरूप से जांबूनद (स्वर्ण) मय है, आकाश ओर स्फटिकमणि की तरह निर्मल है, चिकना है यावत् प्रतिरूप है । इसके दोनों ओर दो पद्मवरवेदिकाएं और दो वनखण्ड इसे सब ओर से घेरे हुए स्थित हैं। दोनों का वर्णनक कहना चाहिए। .
१७८. (आ) से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-माणुसुत्तरे पव्वए माणुसुत्तरे पव्वए ?
गोयमा ! माणुसुत्तरस्स णं पव्वयस्स अन्तो मणुया उप्पिं सुवण्णा बाहिं देवा। अदुत्तरं च णं गोयमा! माणुसुत्तरपव्वयं मणुया णं कयावि वीइवइंसु वा वीइवयंति वा वीइवइस्संति वा णण्णत्थ चारणेहिं वा विज्जाहरेहिं वा देवकम्मुणा वा वि, से तेणठेणं गोयमा ! ० अदुत्तरं च णं जाव णिच्चे त्ति। जावं च णं माणुसुत्तरे पव्वए तावं च णं अस्सिं लोए त्ति पवुच्चइ जावं च णं वासाइं वा वासधराई वा तावं च णं अस्सिं लोए त्ति पवुच्चइ जावं च णं गेहाइं वा गेहावयणाइ वा तावं च णं अस्सिं लोए त्ति पवुच्चइ, जावं च णं गामाइ वा जाव रायहाणीइ वा तावं च णं अस्सि लोए त्ति पवुच्चइ, जावं च णं अरहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा पडिवासुदेवा चारणा विज्जाहरा समणा समणीओ सावया सावियाओ मणुया पगइभद्दगा विणीया तावं च णं अस्सि लोए त्ति पवुच्चइ।। ___जावं च णं समयाइ वा आवलियाइ वा आणपाणुइ वा थोवाइ वा लवाइ वा मुहुत्ताइ वा दिवसाइ वा अहोरत्ताइ वा पक्खाइ वा मासाइ वा उऊइ वा अयणाइ वा संवच्छराइ वा जुगाइ वा वाससयाइ वा वाससहस्साइ वा वाससयसहस्साइ वा पुव्वंगाइ वा पुव्वोइ वा तुडियंगाइ वा एवं पुव्वे तुडिए अड्डे अववे हूहुकए उप्पले पउमे णलिणे अच्छिनिउरे अउए पउए णउए चूलिया सीसपहेलिया जाव य सीसपहेलियंगेइ वा सीसपहेलियाइ वा पलिओवमेइ वा. सागरोवमेइ. वा अवसप्पिणीइ वा ओसप्पिणीइ वा तावं च णं अस्सिं लोए पवुच्चइ।