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तृतीय प्रतिपत्ति: लवणशिखा की वक्तव्यता ]
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गहराई है और उसके ऊपर सात सौ योजन की जलवृद्धि होती है। उससे आगे मध्यभाग में दस हजार योजन विस्तार में एक हजार योजन की गहराई है और जलवृद्धि सोलह हजार योजन प्रमाण है । पातालकलशगत वायु के क्षुभित होने से उनके ऊपर एक अहोरात्र दो बार कुछ कम दो कोस प्रमाण अतिशय रूप में उदक की वह वृद्धि होती है और जब पातालकलशगत वायु उपशान्त होता है, तब वह जलवृद्धि नहीं होती है । यही बात इन गाथाओं में कही है
पंचाणउयसहस्से गोतित्थं उभयओ वि लवणस्स । जोयणसयाणि सत्त उदग परिवुड्ढीवि उभयो वि ॥१ ॥ दसजोयणसाहस्सा लवणसिहा चक्कवालओ रूंदा । सोलससहस्स उच्चा सहस्समेगं च ओगाढा ॥ २ ॥ देसूणमद्धजोयण लवणसिहोवरि दुगं दुवे कालो ।
अइरे गं अइरे गं परिवुड्ढइ हायए वा वि ॥३॥
लवणसमुद्र की आभ्यन्तर वेला को अर्थात जम्बूद्वीप की और बढ़ती हुई शिखा को और उस पर बढ़ते हुए जल को सीमा से आगे बढ़ने से रोकने वाले भवनपतिनिकाय के अन्तर्गत आने वाले बयालीस हजार नागकुमार देव हैं। इसी तरह लवणसमुद्र की बाह्य वेला अर्थात धातकीखण्ड की ओर अभिमुख होकर बढ़ने वाली शिखा और उसके ऊपर की अतिरेक वृद्धि को आगे बढ़ने से रोकने वाले बहत्तर हजार नागकुमार देव हैं । लवणसमुद्र के अग्रोदक को ( देशोन अर्धयोजन से ऊपर बढ़ने वाले जल को ) रोकने वाले साठ हजार नागकुमार देव हैं। ये नागकुमार देव लवणसमुद्र की वेला को मर्यादा में रखते हैं। इन सब वेलंधर नागकुमारों की संख्या एक लाख चौहत्तर हजार है।
१५९. ( अ ) - कति णं भंते ! वेलंधरा णागराया पण्णत्ता ?
गोग्रमा ! चत्तारि वेलंधरा णागराया पण्णत्ता, तं जहा- गोथूभे, सिवए, संखे, मणोसिलए । एतेसि णं भंते! चउण्हं वेलंधरणागरायाणं कति आवासपव्वया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि आवासपव्वया पण्णत्ता, तं जहा- गोथूभे, उदगभासे, संखे, दगसीमाए ।
कहि णं भंते! गोथूभस्स वेलंधरणागरायस्स गोथूभे णामं आवासपव्वए पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पुरत्थिमेणं लवणं समुदं बायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं गोथूभस्स वेलंधरणागरायस्स गोथूभे णामं आवासपव्वए पण्णत्ते सत्तरस एकवीसाइं जोयणसयाई उड्ढं उच्चतेणं चत्तारि तीसे जोयणसए कोसं च उव्वेणं मूले दसवावीसे जोयणसए आयामविक्खंभेणं, मज्झे सत्ततेवीसे जोयणसए उवरिं चत्तारि चउवीसे जोयणसए आयामविक्खंभेणं मूले तिणि जोयणसहस्साइं दोण्णि य बत्तीसुत्तरे जोयणसए किंचिविंसेसूणे परिक्खेवेणं, मज्झे दो जोयणसहस्साइं दोण्णि य छलसीए जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं, मूले वित्थिण्णे मझे संखित्ते उपिं तणुएं गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वकणगामए अच्छे जाव पडिरूवे ।
से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेणं य वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते । दोण्ह वि
वणओ ।