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________________ तृतीय प्रतिपत्ति : ज्योतिष्क चन्द्र-सूर्याधिकार ] [८५ गोयमा! सूरविमाणाओ णं असीए जोयणेहिं चंदविमाणे चारं चरइ। जोयणसए अबाहाए सव्वोवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ। चंदविमाणाओ णं भंते! केवइयं अबाहाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ? गोयमा! चंदविमाणाओ णं वीसाए जोयणेहिं अबाहाए सव्व उवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ। एवामेव सपुव्वावरेणं दसुत्तरसयजोयणबाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोइसविसए पण्णत्ते। जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे कयरे णक्खत्ते सव्वभितरिल्लं चारं चरति? कयरे णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरइ? कयरे णक्खत्ते सव्वउवरिल्लं चारं चरइ? कयरे णक्खत्ते सव्वभितरिल्लं चारं चरइ? गोयमा! जंबुद्दीवे णं दीवे अभीइनक्खत्ते सव्वभितरिल्लं चारं चरइ, मूले नक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरइ, साइणक्खत्ते सव्वोवरिल्लं चारं चरइ, भरणीनक्खत्ते सव्वहेट्ठिल्लं चारं चरइ। १९२. भगवन् ! जम्बूद्वीप में मेरुपर्वत के पूर्व चरमान्त से ज्योतिष्कदेव कितनी दूर रह कर उसकी प्रदक्षिणा करते हैं? ___ गौतम ! ग्यारह सौ इक्कीस (११२१) योजन दूरी से प्रदक्षिणा करते हैं । इसी तरह दक्षिण चरमान्त से, पश्चिम चरमान्त से और उत्तर चरमान्त से भी ग्यारह सौ इक्कीस योजन दूरी से प्रदक्षिणा करते हैं । भगवन् ! लोकान्त से कितनी दूरी पर ज्योतिष्कचक्र कहा गया है? गौतम! ग्यारह सौ ग्यारह (११११) योजन पर ज्योतिष्कचक्र है। भगवन् ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के बहुसमरमणीय भूमिभाग से कितनी दूरी पर सबसे निचला तारा रूप गति करता है? कितनी दूरी पर सूर्यविमान गति करता है? कितनी दूरी पर चन्द्रविमान चलता है? कितनी दूरी पर सबसे ऊपरवर्ती तारा चलता है? गौतम! इस रत्नप्रभापृथ्वी के बहुसमरमणीय भूमिभाग से ७९० योजन दूरी पर सबसे निचला तारा गति करता है। आठ सौ (८००) योजन दूरी पर सूर्यविमान चलता है । आठ सौ अस्सी (८८०) योजन पर चन्द्रविमान चलता है । नौ सौ (९००) योजन दूरी पर सबसे ऊपरवर्ती तारा गति करता है। ___भगवन् ! सबसे निचले तारा से कितनी दूर सूर्य का विमान चलता है? कितनी दूरी पर चन्द्र का विमान चलता है? कितनी दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है? गौतम! सबसे निचले तारा से दस योजन दूरी पर सूर्यविमान चलता है, नब्बै योजन दूरी पर चन्द्रविमान चलता है। एक सौ दस योजन दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है। भगवन् ! सूर्य विमान से कितनी दूरी पर चन्द्रविमान चलता है? कितनी दूरी पर सर्वोपरि तारा चलता है? गौतम! सूर्य विमान से अस्सी योजन की दूरी पर चन्द्रविमान चलता है और एक सौ योजन ऊपर
SR No.003455
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size5 MB
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