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________________ ८६ ] सर्वोपरि तारा चलता है । भगवन्! चन्द्र विमान से कितनी दूरी पर सबसे ऊपर का तारा गति करता है ? गौतम ! चन्द्र विमान से बीस योजन दूरी पर सबसे ऊपर का तारा चलता है। इस प्रकार सब मिलाकर एक सौ दस योजन के बाहल्य (मोटाई) में तिर्यग्दिशा में असंख्यात योजन पर्यन्त ज्योतिष्कचक्र कहा गया है। [ जीवाजीवाभिगमसूत्र भगवन् ! जम्बूद्वीप में कौन-सा नक्षत्र सब नक्षत्रों के भीतर, बाहर मण्डल गति से तथा ऊपर, नीचे विचरण करता है । गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में अभिजित् नक्षत्र सबसे भीतर रहकर मंडल गति से परिभ्रमण करता है। मूल नक्षत्र सब नक्षत्रों से बाहर रहकर मण्डलगति से परिभ्रमण करता है । स्वाति नक्षत्र सब नक्षत्रों से ऊपर रहकर चलता है और भरणी नक्षत्र सबसे नीचे मण्डल गति से विचरण करता है । १९३. चंदविमाणे णं भंते! किंसंठिए पण्णत्ते ? गोयमा! अद्धकविट्ठगसंठाणसंठिए सव्वफालियामए अब्भुग्गयमूसियपहसिए वण्णओ । एवं सूरविमाणेवि गहविमाणेवि नक्खत्तविमाणेवि ताराविमाणेवि अद्धकविट्ठसंठाणसंठिए । चंदविमाणे णं भंते! केवइयं आयाम विक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं ? के वइयं बाहल्लेणं पण्णत्ते ? गोयमा ! छप्पन्ने एकसद्विभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, अट्ठावीसं एगसद्विभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पण्णत्ते । सूरविमाणस्स सच्चेव पुच्छा? गोयमा! अडयालीसं एकसद्विभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं, चडवीसं एकसद्विभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पण्णत्ते । एवं गहविमाणेवि अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं कोसं बाहल्लेणं पण्णत्ते । नक्खत्तविमाणे णं कोसं आयामविक्खभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं पण्णत्ते । ताराविमाने अद्धकोसं आयामविक्खंभेणं, तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं पंचधणुसयाई बाहल्लेणं पण्णत्ते । १. सव्वब्भितराऽभीई, मूलो पुण सव्व बाहिरो होई । सव्वोपरिंतु साई भरणी पुण सव्व हेट्ठिलिया ॥ १ ॥
SR No.003455
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_jivajivabhigam
File Size5 MB
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